शब्द-सृष्टि
जनवरी 2024, अंक 43
शब्द संज्ञान – डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्र
व्याकरण विमर्श – डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्र
विशेष – राम आ गए! रामराज्य कब आएगा? – डॉ. ऋषभदेव शर्मा
ग़ज़ल – दिसम्बर ख़त्म होता है – हिमकर श्याम
पुस्तक समीक्षा – शोध कैसे करें?(पुनीत बिसारिया) – किसान गिरजाशंकर कुशवाहा
गीत – आए मेरे राम – अनिल वडगेरी
आलेख –महाभारत रहस्य और गीता दर्शन – सुरेश चौधरी ‘इंदु’
पुस्तक चर्चा – तमिल से हिंदी में आईं ‘कल्कि की लघुकथाएँ’ – डॉ. सुपर्णा मुखर्जी
आलेख – हिंदी साहित्यकारों और विचारकों की दृष्टि में श्रीराम – प्रो. पुनीत बिसारिया
हाइकु – तुकाराम पुंडलिक खिल्लारे
कहानी – हेड कि हेडेक – डॉ. सुषमा देवी
कवि परिचय – एक कवि: अटल बिहारी वाजपेयी – अनिकेत सिन्हा
लघुकथा – परवरिश – ख्याति केयूर खारोड
कविता – जलते दीप नजर आएँगे – इंद्र कुमार दीक्षित
सामयिक टिप्पणी – हावेरी कांड : यहाँ ज़िन्दगी है रिवाज़ों के बस में! – डॉ. ऋषभदेव शर्मा
शब्द सृष्टि पत्रिका का इस अंक में श्रीराम अयोध्या में विराजमान होने के संदर्भ में समसामयिकता से जोड़कर उनके दिव्य रूप को शब्दबद्ध किया गया है | हिंदी के शोधार्थियों के लिए इस पत्रिका में सारगर्भित सामग्री प्रस्तुत की गई है
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जवाब देंहटाएंगुरुवर प्रो. हसमुख परमार सर के मार्गदर्शन में प्रकाशित शब्द-सृष्टि का यह अंक रोचक और जानकारी से परिपूर्ण है। पत्रिका की यह खासियत है कि यह मासिक रूप से नियमित अपने समय से प्रकाशित होती है और इसमे प्रकाशित होने वाले आलेख, कविताएँ, निबंध, कहानियां और समीक्षाएँ समसामयिकता से जुड़े होते हैं जो हम विद्यार्थियों और शोधार्थियों के लिए उपयोगी और महत्त्वपूर्ण हैं।
जवाब देंहटाएंगुरुवर प्रो. हसमुख परमार सर के निर्देशन में डॉ. पूर्वा शर्मा जी इस पत्रिका को पूरे लगन और मेहनत के साथ प्रकाशित करती हैं। इतने व्यवस्थित अंक के लिए सर और डॉ. पूर्वा जी को को खूब बधाई और शुभकामनाएँ।💐💐
(कुलदीप आशकिरण)