परवरिश
ख्याति केयूर खारोड
चीं..ई...ई....ई...
पान की दुकान को ही अपना अड्डा बनानेवाले कुछ दोस्तों में
से एक ने अपनी ही मस्ती में दूसरे को रास्ते की ओर धकेल दिया,
इस लिये उसे तुरंत ही ब्रेक लगाना पडा। फिर भी पलक झपकने से
पहले धडा....म.....!
अच्छा हुआ जो कार की रफ्तार करीबन 20 किमी प्रति घंटा ही थी, इस लिये वह युवक कार के बॉनट पर से तुरंत उतर गया और
यातायात यथावत शुरू हो गया, मानो कुछ हुआ ही न था। परंतु, कार के अंदर बैठे हुए सभी की धडकनें ज़रूर तेज़ हो गईं थीं।
‘सत्यानाश हो उस आवारा का! बगैर किसी गलती के ख्वामख्वाह मेरे बेटे पर पुलिस केस
हो जाता ना? अरे, अभी तो उसकी बढिया सी नौकरी लगने की खुशी में पार्टी मनानी
भी बाकी है’ –माँ सोच रही थी।
“बेटा, ज़रा दायीं ओर कार को ले लेना। अपन पहले मंदिर हो आते हैं।
आज तो तुम पर से घात टली है, वरना उन मटरगश्ती करनेवालों के कारण तुम्हें सलाखों के पीछे
जाना पडता।”
माँ ने कहा।
कार दायीं ओर मुडकर मंदिर के पास जा ठहरी।
“मैं कार पार्क करके आता हूँ, आप लाइन में पहुँच जाइए, मम्मी।”
वह लाइन में जाकर खडी ही थी कि बेटा अपने हाथों में दो
नारियल लेकर आ पहुँचा।
“अरे, दो क्यों?”
“जान उस लडके की भी तो आज बची है,
मम्मा! क्या पता, वह लापरवाह अपने घर पर इस हादसे के बारे में बताएगा भी या
नहीं?
तो उसकी माँ की ओर से एक नारियल आप ही भगवान को चढा देंगी
ना?”
माँ तो बेटे को बस देखती ही रह गई......आश्चर्य से,
गर्व से, संतोष से.....!!!
ख्याति केयूर खारोड
वड़ोदरा
वाह! दिन प्रतिदिन के अनुभव की कथा। ईसे वार्ता कैसे कह पाते?
जवाब देंहटाएंसुंदर ।सुदर्शन रत्नाकर
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