रविवार, 25 जुलाई 2021

अंक – 12, प्रेमचंद-स्मृति अंक

 


शब्द सृष्टि,  जुलाई - 2021अंक – 12

प्रेमचंद-स्मृति अंक

प्रेमचंद जयंती पर विशेष


विचार स्तवक – प्रेमचंद के विचार / प्रेमचंद के साहित्यिक महत्त्व संबंधी विद्वानों के मत-अभिमत / प्रेमचंद की रचनाओं से उद्धृत विचारोक्तियाँ

प्रेमचंद के पत्र – जैनेन्द्र कुमार को / उपेन्द्रनाथ अश्क को

संस्मरण – एक शांत नास्तिक संत – जैनेन्द्र / प्रेमचंदजी के साथ दो दिन – बनारसीदास चतुर्वेदी / स्मरण प्रेमचंद – महादेवी वर्मा

जीवनी-अंश – ‘कलम का सिपाही’ से.... – अमृतराय

प्रेमचंद की रचनाओं के कुछ अंश – (क) कहानी-अंश – 1.ईदगाह 2.दो बैलों की कथा / (ख) उपन्यास-अंश – 1.गोदान 2. निर्मला

कहानी – बोध – प्रेमचंद

कहानी – बड़े घर की बेटी – प्रेमचंद

लेख – बातचीत करने की कला – प्रेमचंद 

परिचय – शिवरानी के प्रेमचन्द और प्रेमचंद की शिवरानी : संदर्भ - ‘प्रेमचन्द : घर में’ – डॉ. दयाशंकर त्रिपाठी

आलेख – प्रासंगिकता के निकष पर प्रेमचंद और उनका साहित्य – डॉ. हसमुख परमार

आलेख – प्रेमचंदः रचनाशीलताः समाजलक्षी अभिगम – डॉ. मदनमोहन शर्मा

आलेख – प्रेमचंद की कथा कृतियों का फ़िल्मी रूपांतरण – डॉ. पूर्वा शर्मा

आलेख – भ्रष्टाचार को उजागर करती प्रेमचंद की कहानियाँ आलेख – डॉ. मायाप्रकाश पाण्डेय

आलेख – प्रेमचंद के रचना संसार में लोक और मनोविज्ञान की समरसता – अनिता मंडा

आलेख – हिन्दी की साहित्यिक पत्रकारिता को प्रेमचंद की देन – डॉ. गिरीश रोहित

आलेख – प्रेमचंद जयंती के अवसर पर.... प्रेमचंद जी को हम क्यों याद करें ? – डॉ. हसमुख परमार

प्रेमचंद विषयक छाया चित्र

10 टिप्‍पणियां:

  1. प्रेमचंद जी पर आधारित संग्रहणीय अंक के लिए आप सबको साधुवाद ।

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  2. प्रेमचंद स्मृति' अंक निकालने के लिए ‘शब्दसृष्टि' की ब्लागर डाॅ.पूर्वा शर्मा तथा परामर्शक डाॅ.हसमुख परमार को हार्दिक बधाई व धन्यवाद । वाकई में इस अंक में संजोई गयी सामग्री संग्रहणीय तो है ही, प्रेमचंद के संदर्भ में लिखे गये सभी आलेख भी अत्यंत सराहनीय हैं। प्रेमचंद के व्यक्तित्व के सभी पहलुओं को उजागर करने में यह अंक सफल रहा है। इसके मूल में ‘शब्दसृष्टि' की ब्लागर डाॅ.पूर्वा शर्मा तथा परामर्शक डाॅ.हसमुख परमार का साझा परिश्रम व संतुलित सोच रही है। यह अंक हमें प्रेमचंद की प्रासंगिकता और उनकी विरासत से रूबरू कराता है। पुन: एक बार ब्लागर व परामर्शक दोनों को अभिनंदन।

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  3. ‘प्रेमचंद स्मृति' अंक निकालने के लिए ‘शब्दसृष्टि' की ब्लागर डाॅ.पूर्वा शर्मा तथा परामर्शक डाॅ.हसमुख परमार को हार्दिक बधाई व धन्यवाद । वाकई में इस अंक में संजोई गयी सामग्री संग्रहणीय तो है ही, प्रेमचंद के संदर्भ में लिखे गये सभी आलेख भी अत्यंत सराहनीय हैं। प्रेमचंद के व्यक्तित्व के सभी पहलुओं को उजागर करने में यह अंक सफल रहा है। इसके मूल में ‘शब्दसृष्टि' की ब्लागर डाॅ.पूर्वा शर्मा तथा परामर्शक डाॅ.हसमुख परमार का साझा परिश्रम व संतुलित सोच रही है। यह अंक हमें प्रेमचंद की प्रासंगिकता और उनकी विरासत से रूबरू कराता है। पुन: एक बार ब्लागर व परामर्शक दोनों को अभिनंदन।
    डाॅ.गिरीश रोहित
    एसोसिएट प्रोफेसर, हिन्दी विभाग
    आर.पी.आर्ट्स, के.बी.काॅमर्स एण्ड बी.सी.जे सायन्स काॅलेज, खंभात

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  4. शब्द-सृष्टि का यह बारहवाँ अंक (जुलाई-2021) ‘प्रेमचंद-स्मृति’ अंक के रूप में निकला है।
    इस अंक की सामग्री के दो विभाग हैं। एक विभाग पुरानी सामग्री का है तथा दूसरा विभाग नयी सामग्री का है।
    इस अंक के पाठकों को नयी सामग्री संभव है कम रुचिकर लगे। परंतु पुरानी सामग्री उनके लिए अवश्य रुचिकर तथा उपयोगी होगी। जो पुरानी सामग्री यहाँ दी गई है, वह एक तरह से प्रेमचंद से संबंधित ऐतिहासिक दस्तावेज है।
    मेरी समझ से इस प्रकार की सामग्री के कारण यह अंक अधिक उपयोगी तथा पठनीय बन गया है।
    निश्चय ही यह अंक इस ई-पत्रिका के कर्णधारों की सूझबूझ का परिणाम है।
    इसके लिए मैं उन्हें साधुवाद देता हूँ।

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  5. बहुत सार्थक अंक निकाला है आपने, मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें |

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  6. प्रेमचंद जी पर आधारित बहुत सुंदर संग्रहणीय अंक। डॉ पूर्वा शर्मा जी को हार्दिक बधाई।

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  7. प्रेमचंद जी के रचना-संसार को बहुत सहज , सरल रूप में पाठकों के सम्मुख प्रस्तुत करता बहुत ही सुन्दर-सारगर्भित अंक । हिन्दी की सच्ची सेवा ।
    एतदर्थ समस्त 'शब्द-सृष्टि' परिवार को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ।

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