शब्द-सृष्टि
अगस्त 2024, अंक 50
‘शब्दसृष्टि’ का पचासवाँ अंक – अंक के बहाने....... अंक के बारे में.... – प्रो. हसमुख परमार
संपादकीय – अगस्त मास की ख़ास कहानी – डॉ. पूर्वा शर्मा
व्याकरण विमर्श – 1. प्रत्यय विचार 2. संज्ञा शब्दों के बहुवचन रूप – डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्र
विशेष
बरसे बदली सावन की – अनिता मंडा
कविता
भारतमाता का जयगान – डॉ. ऋषभदेव शर्मा
धरती को ‘आया’ कहने का मतलब.... – विमलकुमार चौधरी
मिट्टी के चूल्हे – डॉ. सुषमा देवी
हे तेजोमयी माँ !!!! – सुरेश चौधरी
हाइबन – यात्रा – सत्या शर्मा ‘कीर्ति’
आलेख – ‘कौन-सी कविता होती है पूरी.... में वर्णित विभिन्न विमर्श’ – डॉ. सुपर्णा मुखर्जी
वैचारिक निबंध – काव्यानुभूति और उसका स्तम्भन – रमाकांत नीलकंठ
कुंडलिया – डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
गीत – ज़िंदगी क्षणिक है ! – गौतम कुमार सागर
अनुवाद – आदिशंकराचार्य रचित गङ्गा स्तोत्र का अनुवाद लावणी छंद में – सुरेश चौधरी
निरंतर 50 अंकों के प्रकाशन का कीर्तिमान स्थापित करने के उपलक्ष्य में हार्दिक अभिनंदन स्वीकारें! 💐
जवाब देंहटाएंशब्द सृष्टि के पचासवें अंक की डॉ. पूर्वा जी को को बहुत बहुत बधाई। पूर्वा जी जिस समर्पित भाव से परिश्रम पूर्व शब्दसृष्टि को नियमित प्रकाशित कर रही हैं वह अभिनंदनीय है।हार्दिक शुभकामनाएं🌺🌺
जवाब देंहटाएंअबाधित क्रम से पाँच-दस-पंद्रह नहीं, बल्कि पूरे पचास अंकों का प्रकाशन ,और हर अंक अपने आप में बड़ा स्टैंडर्ड अंक 'शब्द सृष्टि' की सफलता और इसकी संपादिका डाॅ.पूर्वा शर्मा की मेहनत और कुशलता को दर्शाता है। इस अवसर पर संपादिका पूर्वा जी को हार्दिक बधाई ।अंक के आरंभ में ही आदरणीय प्रो.हसमुख सर की बातें शब्द सृष्टि' की पूरी कहानी बता रही हैं। सर जी 🙏
जवाब देंहटाएं‘शब्दसृष्टि’ का पचासवाँ अंक प्रकाशित होने पर संपादिका डॉ. पूर्वा शर्मा मैंम तथा परामर्शक प्रो.हसमुख परमार सर को अनेक अनेक बधाई ।
जवाब देंहटाएंसंपादन कला में कार्य-कुशलता एवं कारीगरी दोनों की परीक्षा होती है और संपादिका डॉ.पूर्वा शर्मा मैंम ने बड़ी बारीकी से इस दिशा में कौशल प्राप्त कर ‘शब्दसृष्टि’ ई-पत्रिका का संपादकीय दीप प्रज्वलित किया है वह प्रशंसनीय है । साहित्य के प्रति अप्रितम लगाव तथा साहित्यिक कर्मठता के कारण ‘शब्दसृष्टि’ की यात्रा आज पचासवाँ अंक तक पहुँची है यह कोई सामान्य बात नहीं है । मैंम को पुनः पुनः हार्दिक बधाई....
एक परामर्शक के रूप में प्रोफ़ेसर हसमुख परमार सर का नियमित परामर्श-साहित्यिक मार्गचिह्न ‘शब्दसृष्टि’ई-पत्रिका को अधिक प्रासंगिक-जीवंत बनता है । सर को विशेष बधाई... ख़ास बात यह है कि प्रो. हसमुख परमार सर के परामर्शन के साथ साथ उनके आलोचनात्मक विविध आलेख, सारगर्भित विवेच्य कथ्य मेरे जैसे अनेकों शोधार्थियों-पाठकों के लिए विशेष उपयोगी रहे हैं यह भी पत्रिका की निजी उपलब्धि ही है ।
आज तकनीकी व्यवस्था- विविध संचार माध्यमों के कारण हमें स्क्रीन पर साहित्य के अनेक पत्र-पत्रिकाएँ , वेब-ब्लॉग, प्रोडकास्ट, अन्य ऐप. सरलता से उपलब्ध है तब निश्चिन्त साहित्यिक मानदंडो से ‘शब्दसृष्टि’ ई-पत्रिका के नियमित पचासवाँ अंक प्रकाशित करना यह किसी मेडल से कम सिद्धि नहीं है । एक नियमित पाठक होने के नाते मेरे विचार में ‘शब्दसृष्टि’ ई-पत्रिका साहित्य की मूल्यनिष्ठ गरिमा, भाषा की शुद्धता, व्याकरणिक स्तर, विषय-सामग्री की विविधता-वैविध्यता के कारण अन्य वेब-प्रिंट पत्रिकाओं से कहीं अधिक मजबूत दिखाई देता है ।
‘शब्दसृष्टि’ की साहित्यिक यात्रा के लिए पुनः शुभकामनाएं
विमलकुमार चौधरी....
यहाँ सम्वेदना,अनुभूति,सजृनात्मकता और अभिव्यक्ति चारों की स्वतंत्र सत्ता और महत्ता है त।इन चारों की हाथ से हाथ बांधे, एक साथ उपस्थिति, साहित्य की ऐतिहासिक विशिष्टता भी है।समस्त रचनाकारों ने समयानुकूल दृष्टि से सम्पन्न करने का सफल प्रयत्न किया हैं। सारी रचनाएँ अपने बेहतरीन रूप में लक्षित की गई है और भाषा, शैली, वस्तु, दृष्टि आदि सब धरातलों पर सम्पन्न है।अनुभव के और सुदृढ़तम शैली के धरातल पर भी विविधता से सम्पन्न है। और इसका कारण उनकी सहजता और बेबाकी है।
जवाब देंहटाएंइस अंक में सृजनात्मकता की सुंदर प्रस्तुति हुई है-सभी रचनाकारों को बधाई।
जवाब देंहटाएंइस टीम को शुभकामनाऍं।