गुरुवार, 2 दिसंबर 2021

दिसंबर - 2021, अंक – 17

 


शब्द सृष्टिदिसंबर - 2021, अंक – 17


विचार स्तवक

शब्द संज्ञान – डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्र

प्रासंगिक – स्मृति शेष मन्नू भंडारी – राजा दुबे

जयकरी छन्द /चौपई – नीला-जलजात – ज्योत्स्ना प्रदीप

परिचय – बिरसा मुंडा – सुशीला भूरिया

उपन्यास पर बात – आओ पेपे, घर चलें ! (प्रभा खेतान) – डॉ. हसमुख परमार

कविता – हर-हर गंगे – डॉ. अनु मेहता

आलेख – राजस्थानी लोक नृत्यों में जालोर का ‘ढोल नृत्य’ – डॉ. जयंतिलाल बी. बारीस

कविता – डॉ. पूर्वा शर्मा

संस्मरण – कितने कमलेश्वर! – मन्नू भंडारी

औपन्यासिक जीवनी – काल के कपाल पर हस्ताक्षर : हरिशंकर परसाई (भाग – 4) – राजेन्द्र चंद्रकांत राय

लघुकथा – वृद्धावस्था का पड़ाव – सविता अग्रवाल 'सवि'


8 टिप्‍पणियां:

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  2. परिश्रमपूर्वक तैयार किया सुंदर अंक। बधाई

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  3. बहुत अच्छा अंक । पूरी टीम को बधाई ।

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  4. हर महीने हिन्दी भाषा व साहित्य से संबद्ध सुंदर और वैविध्य पूर्ण सामग्री से परिचित कराने के लिए डॉ. पूर्वा शर्मा जी और डॉ. हसमुख सर आप दोनों का आभार🙏💐
    शब्द सृष्टि का सर्वांगीण सौंदर्य हमारे मन- मस्तिष्क को एक नई ऊर्जा और आनन्द से भर देता है।
    Vicky

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  5. पठन मनन करने योग्य एक और सुंदर अंक! पूर्वा जी और उनकी समस्त टीम का धन्यवाद और अनेकों शुभकामनाएँ।

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  6. पठनीय सामग्री से भरपूर अंक!
    संपादकीय और संयोजकीय परिश्रम से ही ऐसा अंक बन पाता है। हार्दिक शुभकामनाएं और साधुवाद!

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  7. बहुत बढ़िया अंक । पूरी टीम को दिल से बधाई!

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