मंगलवार, 26 मार्च 2024

मार्च 2024, अंक 45

 


शब्द-सृष्टि

मार्च 2024, अंक 45

रांगेय राघव और हरिशंकर परसाई स्मृति अंक


अंक के बहाने.... अंक के बारे में....

विचार स्तवक – रांगेय राघव / हरिशंकर परसाई

मत-अभिमत – कुँवरपाल सिंह / डॉ. शिवकुमार मिश्र / गोपाल राय / राजेन्द्र यादव / डॉ. श्याम सुंदर घोष / श्याम कश्यप

विवेचन 

रांगेय राघव का लेखन : सरोकार और उपलब्धियाँ – प्रो. हसमुख परमार

स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी व्यंग्य की विशिष्ट उपलब्धि हरिशंकर परसाई – डॉ. पूर्वा शर्मा

हिंदी साहित्य का शेक्सपीयर : रांगेय राघव – डॉ. नीरजा गुरर्मकोंडा

आमजन की आवाज हैं रांगेय राघव की कविताएँ – कुलदीप आशकिरण

हरिशंकर परसाई की कहानियों की वर्तमान प्रासंगिकता – कुलदीप आशकिरण

संस्मरण 

रांगेय राघव – प्रो. प्रकाशचन्द्र गुप्त

जब भी उँगलियाँ क़लम उठाती हैं, याद आते हैं परसाई! – डॉ.अलका अग्रवाल सिग्तिया

सृजन स्मरण

कहानी – घिसटता कंबल – रांगेय राघव

व्यंग्य – इति श्री रिसर्चाय – हरिशंकर परसाई

कविता – श्रमिक – रांगेय राघव

कविता – क्या किया आज तक क्या पाया? – हरिशंकर परसाई

पुस्तक चर्चा

कब तक पुकारूँ (उपन्यास/रांगेय राघव)– प्रो. ऋषभदेव शर्मा

काल के कपाल पर हस्ताक्षर (हरिशंकर परसाई की प्रामाणिक जीवनी/ लेखक – राजेन्द्र चंद्रकांत राय) – मनोहर बिल्लौरे

हस्तलिपि – 1) रांगेय राघव 2)हरिशंकर परसाई

छायाचित्र – 1) रांगेय राघव 2)हरिशंकर परसाई

5 टिप्‍पणियां:

  1. शब्द सृष्टि का यह हरिशंकर परसाई अंक अति उत्कृष्ट और सदी के एक ऐसे दो महत्वपूर्ण रचनाकारों की जीवंतता को बरकरार रखने की दृष्टि से बहुत ही महत्त्वपूर्ण पूर्ण। हरिशंकर और रांगेय राघव की प्रासंगिकता जितनी उनके समय थी उससे कहीं ज्यादा वर्तमान में है...लेकिन आज उन्हें भुलाने का प्रयत्न किया जा रहा है। ऐसे में शब्द सृष्टि का ऐसे रचनाकारों पर विशेषांक आना हर्ष की बात है। यह अंक इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि इसमें विभिन्न आलोचकों के आलेखों के साथ मत-अभिमत और परसाई जी और रांगेय राघव के दुर्लभ चित्रों को भी साझा किया गया है।पत्रिका के मार्गदर्शक गुरुवर प्रो. हसमुख परमार और सम्पादक महोदया डॉ. पूर्वा शर्मा जी इतने व्यवस्थित अंक प्रकाशित करने के लिए बधाई के पात्र हैं। और मैं शुक्रगुज़ार हूँ कि मेरी भी टिप्पणी को इस अंक में स्थान दिया गया है।
    कुलदीप आशकिरण

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  2. शब्द सृष्टि के मार्च 2024 के अंक में आंचलिक कथाकार रांगेय राघव और प्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई को समर्पित है | व्यंग को एक विद्या के रूप में हरिशंकर परसाई ने स्थापित किया है | समाज के सत्य को वास्तविक रूप से उजागर करने का साहस परसाई में था | इसलिए उन्होंने व्यवस्था, राजनीति, शासन-प्रशासन, नेताओं आदि सभी समसामयिक विषयों पर व्यंग किया |

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  3. बहुत ही उत्कृष्ट अंक...हार्दिक बधाई आपको।

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  4. बहुत ही सुंदर और बहुत ही ख़ास इस अंक के द्वारा हिंदी के दो महान लेखकों के साहित्यिक व्यक्तित्व से परिचित कराने के लिए आदरणीय प्रो.हसमुख सर और शब्द सृष्टि की कुशल संपादिका डाॅ.पूर्वा शर्मा जी का आभार। 🙏🙏💐💐

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  5. 'शब्द सृष्टि 'मतलब हर महीने एक नये रूप-रंग और प्रभावशाली विषय वस्तु के साथ प्रस्तुत होने वाली आकर्षक और उपयोगी पत्रिका। इस अंक में दो ऐसे साहित्यकार _रांगेय राघव और हरिशंकर परसाई, जिनकी एक बहुत ही खास पहचान। किसी और से इनकी तुलना क्या संभव है??संपादिका ने बदायूनी के एक शेर का चयन कर दिया है......
    तेरे जैसा कोई मिला ही नहीं, कैसे मिले जो कहीं पे था ही नहीं। दोनों सर्जकों के संबंध में बिल्कुल सही।
    इस सुन्दर अंक के लिए सर को और पूर्वा जी को हार्दिक बधाई 💐💐Hiya

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