v संसार में मेहनत करने वाले से सुन्दर कोई नहीं होता ।
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रांगेय
राघव
v जीवन की विषमता को रटना मेरा ध्येय नहीं है,
उसे मिटाना मेरा उद्देश्य है।
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रांगेय
राघव
v कला केवल बाहय सज्जा नहीं है, वह तो आन्तरिक सौन्दर्य से संबंध रखती है।
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रांगेय
राघव
v युगों से अपराजित मनुष्य की साधना एवं भावना ढूँढने का पता जो
वर्तमान और अतीत में मनुष्य की चेतना को उद् बुद्ध करती है,
उसे कष्टों से रूबरू होने की प्रेरणा देती रही है,
उसे दिखाना मेरा यत्न रहा है – साथ ही वर्गयुद्ध को मैंने
स्वीकार किया, किंतु मनुष्य को यांत्रिक चिंतन का दास नहीं स्वीकार किया।
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रांगेय
राघव
v मैं जीवन का मात्र सर्वे करने वाले लेखक को लेखक नहीं
मानता। सर्वे विभाग की तरह नक्शे बनाना लेखक का काम नहीं है। लेखक समाज का एक अंग
है और उस समाज पर जो गुजरती है उसमें वह समभागी है।
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हरिशंकर
परसाई
v किन परंपराओं को हम कैंसर की तरह पाले हैं,
कहाँ विसंगति, अन्याय, मिथ्याचार, शोषण, पाखंड, दोमुँहापन आदि हैं। मैं कोशिश करता हूँ कि इन्हें देखूँ,
गहरे जाकर इनका अन्वेषण करूँ, कारण खोजूँ।
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हरिशंकर
परसाई
v व्यक्तित्व को कोई भी सहारा देकर टूटने से बचाना चाहिए।
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हरिशंकर
परसाई
🙏😌
जवाब देंहटाएंसुंदर।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर उक्तियों का संकलन
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