रविवार, 31 अगस्त 2025

अगस्त 2025, अंक 62

 


शब्द-सृष्टि

अगस्त 2025, अंक 62

विशेषांक

दिन कुछ ख़ास है!


प्रसंगवश

परामर्शक (प्रो. हसमुख परमार) की कलम से.... 

1. पुष्प और पत्थर की अभिलाषा : देशभक्ति और मातृभूमि प्रेम का चरमोत्कर्ष

2. प्रेमचंद और उनका साहित्य : मायने और महत्त्व

संपादक (डॉ. पूर्वा शर्मा) की कलम से....

गणपति : माने और माहात्म्य  

मैथिलीशरण गुप्त जन्म जयंती
आलेख – हिन्दी साहित्य के युग - प्रवर्तक राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त – अपराजिता ‘उन्मुक्त’ 

रक्षाबंधन

कविता – प्रेम नारायन तिवारी 

जन्माष्टमी

आलेख – श्रीकृष्ण की लौकिक लीला और पारलौकिक स्वरूप – डॉ. मोहन पाण्डेय ‘भ्रमर’ 

कविता – श्रीकृष्ण जन्म (सुखदा छंद) – डॉ. अनिल कुमार बाजपेयी ‘काव्यांश’

कविता – 1. कान्हा तेरी जयजयकार 2. कान्हा जब आये संसार – प्रेम नारायन तिवारी

स्वतंत्रता दिवस

कविता – आजादी का दिन प्यारा है – प्रेम नारायन तिवारी 

आलेख – एक भारत, श्रेष्ठ भारत – डॉ. राजकुमार शांडिल्य

कोलकाता स्थापना दिवस

कविता – सुरेश चौधरी 

आचार्य चतुरसेन शास्त्री जन्म जयंती 

संस्मरण – ‘गोली’ के साथ बिताये वे दिन – सुरेश चौधरी

गणेश चतुर्थी

गणपति वंदना – सुरेश चौधरी

क्षमा वाणी पर्व

मिच्छामी दुक्कड़म – सुरेश चौधरी 

अन्य

शब्द संज्ञान – झख मारना – डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्र 

व्याकरण विमर्श – सहायक क्रिया– डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्र

नवगीत रूपांतर (टैगोर की रचना का) – मेघ ऊपर मेघ छाये, अंधकार घिर घिर आये – सुरेश चौधरी

कविता – शिव-शिवा नर्तन(अरुण छंद) – डॉ. अनिल कुमार बाजपेयी ‘काव्यांश’

लघुकथा – एक खाली प्लाट की करुण कहानी – प्रेम नारायन तिवारी

कविता – 1.वाह रे जिन्दगी.... 2. उर्मिला – शेर सिंह हुंकार

कविता – 1. भादो की अँधियारी रातें 2. मैं पथिक हूँ – डॉ. मोहन पाण्डेय ‘भ्रमर’

कविता – यादें – श्वेता कंडुलना

सामयिक टिप्पणी – सुनो ट्रंप जी : इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं! – डॉ. ऋषभदेव शर्मा

3 टिप्‍पणियां:

  1. शब्द सृष्टि ई-पत्रिका का अगस्त अंक स्वतंत्रता दिवस पर महान कवियों की रचनाओं का बेहतरीन एवं सारगर्भित रूप में प्रस्तुत किया गया। समसामयिक पर्वों गणपति वंदना एवं मिच्छामि दुक्कड़म पर भी प्रकाश डाला गया है
    मुकेश चौधरी, शोधार्थी हिंदी

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  2. शब्द सृष्टि यह अंक हर बार की तरह अपनी नवीनता के साथ पाठकों के बीच है, इस अंक की यह बड़ी खूबी है कि हाल में हुए सभी देशभक्ति, साहित्यिक, सामाजिक और सामयिक घटनाओं पर बड़े ही बेहतरीन आलेख, कविताएँ और अन्य टिप्पणियां प्रकाशित हुई हैं । इस अंक का पहला आलेख पढ़ते ही मन प्रशन्नचित हो गया क्योंकि माखनलाल चतुर्वेदी मेरे प्रिय कवि हैं और इन पर इतना बेहतरीन आलेख सर ने लिखा....सर को खूब बधाई और स्वस्थ्य जीवन की शुभकामनाएं...इतना सुव्यवस्थित अंक प्रकाशित करने के लिए पत्रिका की संपादिका बड़ी बहन डॉ. पूर्वा शर्मा और मार्गदर्शक गुरुवर प्रो. हसमुख परमार सर को खूब बधाई साथ ही इस अंक में प्रकाशित सभी रचनाकारों को शुभेच्छा...(आशकिरण)

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  3. बहुत ही बढ़िया अंक। दिन विशेष के महत्व को और उससे जुड़े विविध संदर्भों को रेखांकित करता बिल्कुल प्रासंगिक।
    परामर्शक प्रो.हसमुख परमार सर और संपादक डाॅ.पूर्वा जी को हार्दिक बधाई। साथ ही अंक में प्रकाशित सभी रचनाओं के रचनाकारों को भी बधाई। 🙏💐Hiya

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अगस्त 2025, अंक 62

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