रक्षाबंधन
प्रेम नारायन तिवारी
राखी ना धागा ना मोती,
ना चाँदी सोना उपहार।
राखी तो है भाई बहन के,
बीच युगों का सच्चा प्यार।।
राखी का धागा कच्चा पर,
इसका जोड़ अनूठा है।
मना ही लेता बहन व भाई,
अगर किसी का रूठा है।।
प्यारा रिश्ता भाई बहन का,
जब जग मे बन जाता है।
कृष्ण द्रौपदी के जैसा यश,
युग युग तक जग गाता है।।
बड़ी बहन जग माँ के जैसी,
छोटी मनभावन बेटी।
जो हमजोली बहन किसीकी,
उसकी तो है चम गोटी।।
साथ खेलती खेल खिलौने,
साथ साथ पढने जाती।
गर कोई मारे ललकारे तब,
बन भाई वह लड़ जाती।।
रक्षाबंधन राखी जग में,
सुन्दर व सच्चा त्योहार।
प्रेम धन्य वो बहन व भाई,
जिनके हाथ जुड़े यह तार।।
प्रेम नारायन तिवारी
रुद्रपुर देवरिया
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