शनिवार, 30 अगस्त 2025

कविता

(24 अगस्त, 1690 - कोलकाता स्थापना दिवस)  


सुरेश चौधरी

दिन   कलकत्ता  रात  कलकत्ता

वो  प्यार  वाली  बात  कलकत्ता

सुबह कलकत्ता शाम  कलकत्ता

साठ सत्तर का पैगाम  कलकत्ता

नशीली  खुमारी जाम  कलकत्ता

रहीम   कलकत्ता  राम कलकत्ता ।

 

आज भी चलते हाथ रिक्शा यहाँ

लगता  बाजारों का  बाजार जहाँ

रेलमपेल ठेलमठेल लोगअनेक हैं

कटरे  बड़े  बड़े नगर  हर  एक हैं

सचमुच बड़ा है बड़ा बाज़ार नाम

सबसे सस्ता सबसे सुंदर ये मुकाम ।

 

नाईट लाइफ पार्क स्ट्रीट की देख

न्यू   मार्किट  की   रौनक  विशेष

थक  जाएगा  चौरंगी  में घूम घूम

वरदान  की  चाट  खा  झूम  झूम

तिवारी  का  सिंघाड़ा माशाल्लाह

पुट्टीराम की राधावल्लभी वाहवाह ।

 

स्टॉक  एक्सचेंज की मलाई टोस्ट

नहीं मिलेंगे  कलकत्ता जैसे होस्ट

धन नहीं पर मन से अमीर हैं हम

जिंदा   रखे   हुए  जमीर  हैं  हम

शान बान आन निराली अलबत्ता

आनंदनगरी आ  देखो कलकत्ता।

 

प्रिन्सेप घाट का नज़ारा कलकत्ता

चाय पीने चले गुरुद्वारा कलकत्ता

विक्टोरिया सैर आये  कलकत्ता

शर्मा की  कचोड़ी खाये कलकत्ता

शिकंजी शिबु  जी  की  कलकत्ता

लेक   के  दम आलू भी कलकत्ता ।

 

गुलाब संदेश औ नुतुन गुडेर संदेश

कालाजाम लेमचा पन्तुआ  विशेष

मिष्टी  दोय की  छटा होती निराली

खिला देखो खुश हो जाय घरवाली

सबसे  सस्ते मीठे अनुपम पकवान

सच है  निराली कलकत्ता की शान।

 

कितने तल्ला कितने घाट अलबत्ता

कितनीबाड़ी कितने माठ कलकत्ता

खल्लिक मल्लिक केठाठ कलकत्ता

घोष बोस मित्रा  की बात कलकत्ता

चटर्जी मुखर्जी करतेपाठ कलकत्ता

दक्षिणेश्वर औ काली घाट कलकत्ता ।

 

लाट  साहेब  का रेजिडेंस  कलकत्ता

अंग्रेजी बोलनेका है ट्रूसेंस कलकत्ता

खाते पीते मस्त रहे हरेक  कलकत्ता

पाड़ाक्लब अड्डा दिलफेंक कलकत्ता

भूखा न रहे हर काम नेक कलकत्ता

फुटपाथ रोटी सस्ती एक कलकत्ता ।

गंगा जी  का  घाट कलकत्ता

नोका  विहार का ठाठ कलकत्ता

चलती शीतल बयार कलकत्ता

मदमस्त झोंके फुहार कलकत्ता

विक्टोरिया की चाट कलकत्ता

धर्मतल्ला का हाट कलकत्ता ।

 

रवींद्र  का  मधुर संगीत कलकत्ता

जयदेव के भक्ति  गीत कलकत्ता

बाउल पर  छलके प्रीत कलकत्ता

छाउ नृत्य अनोखी  रीत कलकत्ता

बंकिम से क्रांति अंग्रहीत कलकत्ता

संस्कृति अप्रतिम प्रतीत कलकत्ता।

 

बोटोनिकल का बरगद है कलकत्ता

ईडन की मस्त हरकत है कलकत्ता

ईस्ट बंगाल मोहन बंगाल का दंगल

सड़कों पर देखो क्रिकेट का  मंगल

फुटबॉल का जुनून है कलकत्ता

पेले तेंदुलकर का ममनून कलकत्ता।

 

विवेकानन्द की बाड़ी देखो आकर

जोड़ासांकू  गुरुदेव  पैलेस   जाकर

नेताजी भवन पर नाम एल्गिन है

अजायबघर यह सबसे प्राचीन है

साहित्य की संस्कृति की यहाँ सत्ता

मेरी बड़ाबाजार लाइब्रेरी कलकत्ता।

 

काली जी का काली घाट कलकत्ता

दक्षिणेश्वर का  बड़ा माठ कलकत्ता

बेलूर का  परमहंस  धाम कलकत्ता

धर्म  क्रांति का बड़ा नाम कलकत्ता

दुर्गा  पूजा  की धूम देख  कलकत्ता

आँखें  चकराये  अनेक   कलकत्ता।

 

लाल झंडा पार्टी की ब्रेक कलकत्ता

मिचिल  हड़ताल  अनेक कलकत्ता

मीठी  बोली  रोसगुल्ला सी है यहाँ

बात बात में भावुक होते लोग जहाँ

यह  मेरा कलकत्ता मेरा कलकत्ता

क्या  गिनूँ  क्या बोलू ये कलकत्ता।

 ***

सुरेश चौधरी

एकता हिबिसकस

56 क्रिस्टोफर रोड

कोलकाता 700046

 

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