शनिवार, 30 अगस्त 2025

आलेख

एक भारत, श्रेष्ठ भारत

डॉ. राजकुमार शांडिल्य

विविध रंगों तथा प्रजातियों के फूलों के गुलदस्ते की तरह अनेक धर्मों, जातियों, रंग रूप और भाषाभाषी सभी भारतीय कहलाते हैं। सभी से देश की शोभा तथा गौरव है।

शकुन्तला और दुष्यन्त के पुत्र भरत के नाम से प्रसिद्ध भारतवर्ष विश्व में प्राकृतिक सौंदर्य और विविध संस्कृति के कारण अनुपम है। धरती पर स्वर्ग कहलाने वाला काश्मीर भारत माता का मुकुट है। कन्याकुमारी में सागर इसका चरणप्रक्षालन करता है। इसके तीन ओर सागर तथा सात पड़ोसी देश हैं।

प्रहरी की तरह अडिग हिमालय हमें हरियाली और खुशहाली देता है । यहाँ नदियाँ, झरने, घने जंगल, फल, शुद्धजल, सुगंधित वायु असीम शांति प्रदान करते हैं। चाँदी जैसी चमकती चोटियाँ आह्लाद से भर देती हैं। यहाँ हाड़ कंपा देने वाली ठंड होती है तो रेगिस्तान में रेत के पहाड़ बनते और नष्ट होते हैं, लू के कारण जीवन कष्टमय होता है। ग्रीष्म में गर्मी से बचने के लिए लोग पर्वतों पर जाते हैं और शीत ऋतु में दक्षिण में धार्मिक तथा सांस्कृतिक भ्रमण का आनंद लेते हुए भारत की श्रेष्ठता से परिचित होते हैं। दक्षिण में प्राय: मौसम सुहावना रहता है। यही ऋतु चक्र ईश्वर का वरदान है और भारत की श्रेष्ठता सिद्ध करता है।

उत्सवप्रिय भरतवासी सभी धर्मों के सांस्कृतिक पर्व तथा राष्ट्रीय पर्व सौहार्द तथा हर्षोल्लास से मनाते हैं।

हमारा जीवन चार आश्रमों तथा चार वर्णों में विभक्त था। बाद में वर्ण व्यवस्था ने जातिप्रथा का रूप ले लिया। यहाँ मनुष्य जीवन का लक्ष्य चार पुरुषार्थों की प्राप्ति माना जाता था। लार्ड मैकाले ने हमारे उच्चादर्शों, नैतिक मूल्यों को देखकर आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर हमारी शिक्षा पद्धति को ध्वस्त करने की योजना बनाई। पाश्चात्य शिक्षा में अर्थ और काम की ही प्रधानता होने से समाज का पतन हो रहा है ।

यहाँ प्रत्येक जीव में ईश्वर को देखते हैं तथा ईश्वर स्वयं मानव शरीर धारण करते हैं । ईश्वर ने मनुष्य को ही विवेकी,कल्पनाशील बनाया है तथा वाक् शक्ति भी दी है । संपूर्ण पृथ्वी को ही परिवार मानना’ ‘सभी सुखी, सभी नीरोगतथा कल्याणकारी हों किसी को भी दुःख न भोगने पड़ें जैसे  उच्चविचारों के कारण भारत विश्वगुरु कहलाता है। भारत ने सत्य ,अहिंसा, अस्तेय, दया, सेवा, परोपकार, त्याग, इन्द्रियनिग्रह जैसे उच्च आदर्शों से विश्व को बन्धुत्व और एकता का संदेश दिया है।

ज्ञान-विज्ञान के भण्डार वेद अपौरुषेय हैं और मन्त्रद्रष्टा ऋषियों के हृदय से वेदों की ऋचाओं का प्रस्फुटन हुआ था। दर्शनशास्त्र का मूल वेद तथा उपनिषद हैं। आयुर्वेद में वैद्य चरक और सुश्रुत लब्धप्रतिष्ठ हैं। खगोल विज्ञान के क्षेत्र में वराहमिहिर, आर्यभट्ट , वैदिकगणित, तथा नक्षत्रों के मानव जीवन पर प्रभाव का वैज्ञानिक विश्लेषण आज भी विश्व को आश्चर्यचकित करता है। रामायणकाल में रामसेतु, पुष्पक विमान और मन्त्रों की शक्ति से युद्धकला ने भारत की श्रेष्ठता सिद्ध की है।

लालकिला, कुतुबमीनार, ताजमहल और कोणार्क आदि की वास्तु कला आश्चर्यचकित करती है। भिन्न-भिन्न खान-पान, लोकनृत्य, लोकगीत तथा रीति-रिवाज भारतीयों को एकता सूत्र में बांधते हैं।

भारत का परमाणु शक्तिसंपन्न राष्ट्र बनना ,अत्याधुनिक अस्त्र-शस्त्रों, मिसाइलों का निर्माण ,चंद्रयान सफल परीक्षण और नासा जैसी संस्थाओं में भारतीय प्रतिभा की श्रेष्ठता सिद्ध की है।

शंकराचार्य जी ने धर्म के संरक्षण और संवर्धन के लिए चारों दिशाओं में चार मठों की स्थापना की। चार धाम, 51 शक्तिपीठों, 12 ज्योतिर्लिंगों तथा अन्य कुंभ जैसे धार्मिक आयोजनों में देश तथा विदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं। पवित्र नदियों में स्नान तथा दान का विशेष महत्त्व है। गंगा हमारी संस्कृति की संवाहिका है। आजीवन उपयोग और मृत्यु के पश्चात इसी में अस्थि विसर्जन तथा तटों पर पिण्डदान इसकी महत्ता सिद्ध करते हैं। संस्कृत तथा भारतीय संस्कृति की विविधता और श्रेष्ठता से ही भारत की प्रतिष्ठा है। विदेशी भी इनके प्रति उत्सुक रहते हैं ।संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है । देवनागरी लिपि तथा पाणिनि व्याकरण की वैज्ञानिकता के कारण संस्कृत भाषा कम्प्यूटर के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है ।भाषा विज्ञान के क्षेत्र में यास्क रचित निरुक्त अनुपम है। योग के महत्त्व के कारण ही 21 जून को विश्व योगदिवस के रूप में मनाया जाता है । वैदिक काल से जीवनदायी पेड़ों को पूज्य बताकर मनुष्य को पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया गया है।

नालन्दा और तक्षशिला विश्वविद्यालयों की ख्याति सम्पूर्ण विश्व में भारत की श्रेष्ठता का उद्घोष करती है। वाल्मीकि, व्यास, विष्णुशर्मा, चाणक्य, विदुर कालिदास आदि ने विश्व को सहज ही लाभान्वित किया है। स्वतंत्रता संग्राम में हिन्दी ने भारत को एकता के सूत्र में बाँधने का कार्य किया। आजकल रोजगार या भ्रमण के लिए संपर्क भाषा हिन्दी ही राष्ट्र को जोड़ती है।


डॉ. राजकुमार शांडिल्य

हिन्दी प्रवक्ता

शिक्षा विभाग 

चंडीगढ़


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