बुधवार, 28 सितंबर 2022

सितंबर – 2022, अंक – 26

 


शब्द-सृष्टि 

सितंबर – 2022, अंक – 26


शब्द संज्ञान – स्थायी, स्थिति, स्पृहा – डॉ. योगेंद्रनाथ मिश्र

व्याकरण विमर्श – वाच्य के बारे में – डॉ. योगेंद्रनाथ मिश्र

प्रश्न शृंखला – हिन्दी आलोचना – डॉ. हसमुख परमार

प्रासंगिक – हिन्दी दिवस के अवसर पर.... – डॉ. पूर्वा शर्मा

आलेख – भारत की आज़ादी में हिन्दी की भूमिका – गौतम कुमार सागर

आलेख – दलितोत्थान में डॉ. अम्बेडकर की पत्रकारिता का अवदान – कुलदीप कुमार ‘आशकिरण’

आलेख – महाभारत की कथा – डॉ. योगेंद्रनाथ मिश्र

कविता – मेरी भाषा के लोग – केदारनाथ सिंह

हाइगा / चित्र कविता – डॉ. पूर्वा शर्मा

दोहे / कविता – डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा

लघुकथा – माँ-बाप की सेवा – डॉ. धीरज वणकर

1 टिप्पणी:

  1. डॉ० हसमुख परमार सर के सानिध्य में, डॉ० पूर्वा शर्मा द्वारा प्रकाशित यह मासिक पत्रिका (शब्द सृष्टि) साहित्य और समाज के उन्मूलन और उत्थान का एक सक्रिय मंच है, जिसके द्वारा हर बार प्रतिष्ठत रचनाकारों के साथ नए रचनाकारों के रचनात्मक सृजन को भी समाज सापेक्ष प्रस्तुत किया जाता है।
    शब्द सृष्टि के इस अंक में मेरे भी एक आलेख को स्थान दिया गया है, इसके लिए मैं डॉ० हसमुख परमार सर और डॉ० पूर्वा जी का शुक्रगुजार हूँ।
    (आशकिरण)
    Kumarkaas94@gmail.com

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