मंगलवार, 27 सितंबर 2022

व्याकरण विमर्श

 



डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्र

थोड़ा वाच्य के बारे में

वाच्य हिंदी, संस्कृत तथा अंग्रेजी तीनों भाषाओं में है।

लेकिन हिंदी कर्तृवाच्य प्रधान भाषा है।

अर्थात् हिंदी में कर्तृवाच्य का प्रयोग सहज स्वभाविक है। यह हिंदी की प्रकृति है।

जबकि संस्कृत में कर्मवाच्य तथा भाववाच्य का प्रयोग अधिक लालित्यपूर्ण माना जाता है। यह उसकी सहज प्रकृति है। ऐसे ही अंग्रेजी में पैसिव वायस का प्रयोग अधिक होता है।

हिन्दी में नियम का आधार लेकर प्रत्येक कर्तृवाच्य के वाक्य को कर्मवाच्य तथा भाववाच्य में बदला जा सकता है। लेकिन कर्मवाच्य तथा भाववाच्य के सभी वाक्य सहज व्यवहार में नहीं चलते।

मैं चलता हूँ । (कर्तृवाच्य) मेरे द्वारा चला जाता है। (भाव.)

वह खाना खाता है। (कर्तृ.) उसके द्वारा खाना खाया जाता है। (कर्म.)

कर्मवाच्य तथा भाववाच्य के ऐसे वाक्य बन तो सकते हैं; परंतु क्या ऐसे वाक्य समान्य व्यवहार में चलते हैं?

व्याकरण के नियम से कोई वाक्य बन जाए, यह महत्त्वपूर्ण नहीं होता। महत्त्वपूर्ण यह होता है कि क्या वह वाक्य सामान्य भाषा व्यवहार में चलता है या नहीं।

लेकिन हिन्दी के स्कूली पाठ्यक्रमों में तथा हिंदी व्याकरण की स्कूली किताबों में हर कर्तृवाच्य के वाक्य को कर्मवाच्य तथा भाववाच्य में बदलना सिखाया जाता है।

ऐसा नहीं होना चाहिए।

फिर प्रश्न होगा, कर्तृवाच्य के किन वाक्यों को कर्मवाच्य तथा भाववाच्य में बदला जाता है या बदलना चाहिए?

इसकी दो मुख्य शर्तें हैं -

१. जब कर्ता की अशक्तता या असमर्थता का बोध कराना हो, तब कर्तृवाच्य के वाक्य को कर्मवाच्य या भाववाच्य में बदला जाता है।

मेरे दाँत में दर्द है। मैं रोटी नहीं खा सकता। (कर्तृ.)

मेरे दाँत में दर्द है। मुझसे रोटी नहीं खाई जाती। (कर्म.)

मेरे पैर में तकलीफ है। मैं चल नहीं सकता। (कर्तृ.)

मेरे पैर में तकलीफ है। मुझसे चला नहीं जाता।(भाव.)

सकर्मक क्रिया वाले कर्तृवाच्य के वाक्य में यदि कर्म अनुपस्थित है, तो उसका कर्मवाच्य नहीं बनेगा। उसका भाववाच्य बनेगा।

मेरे दाँत में दर्द है। मैं खा नहीं सकता। (कर्तृ.)

मेरे दाँत में दर्द है। मुझसे खाया नहीं जाता। (भाववाच्य)

वॉट्सेप पर एक प्रश्न आया -

अध्यापक कक्षा में पढ़ाते हैं।

क्या इसका कर्मवाच्य बनेगा?

पढ़ाना क्रिया भले ही सकर्मक है। परंतु वाक्य में कर्म उपस्थित नहीं है। ऐसी स्थिति में यह वाक्य कर्मवाच्य में नहीं बदला जा सकता।

२. जहाँ कर्ता का उल्लेख महत्त्वपूर्ण न हो, सिर्फ कार्य (कर्म) महत्त्वपूर्ण हो, वहाँ कर्मवाच्य का प्रयोग होता है।

इसी औपचारिक पत्र-व्यवहार तथा सरकारी कामकाज में कर्मवाच्य का प्रयोग होता है।

कारण कि वहाँ कोई व्यक्ति यानी कर्ता नहीं, बल्कि कार्य महत्त्वपूर्ण होता है।

आदेश दिया जाता है/सूचना दी जाती है/निवेदन किया जाता है .... जैसे प्रयोग होते हैं।

आदेश या सूचना कौन देता है, यह महत्त्वपूर्ण नहीं होता।


डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्र

40, साईंपार्क सोसाइटी, वड़ताल रोड

बाकरोल-388315, आणंद (गुजरात)


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