मंगलवार, 27 सितंबर 2022

दोहे / कविता

 


1

दोहे

डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा

मात-पिता शिक्षक प्रथम, दूजे शिक्षाधाम

तीजे जड़-जंगम जगत, सबको करूँ प्रणाम ।।

 

नन्हें पौधों को दिया, स्नेह सींच विस्तार ।

माली बनकर आपने, सबको दिया सँवार ।।

 

भ्रम के अँधियारे घिरें, सूझे आर न पार ।

देकर दीपक ज्ञान का, करते पथ उजियार ।।

 

उच्च लक्ष्य सन्धान कर, करें राष्ट्र निर्माण ।

महिमा गुरुवर आपकी, गाते वेद-पुराण।।

 

दुर्गुण सारे हर, करें सद्गुण का आगार ।

नत मस्तक उनके प्रति, रहे सकल संसार ।।

 

कृपा दृष्टि गुरु आपकी, दे विद्या का दान ।

विकसे ज्ञान- सरोज फिर, मिटे सकल अज्ञान ।।

 

लोभ, मोह, छल छद्म का, सागर है संसार 

जीवन नैया बढ़ चले, शिक्षक खेवनहार ।।

 

निर्माता हैं राष्ट्र के, रविकर-निकर समान ।

सदा हृदय से कीजिए, शिक्षक का सम्मान ।।

 

व्यस्त रहें शिक्षक सदा, हो कोई अभियान ।

अध्यापन का दीजिए, समय इन्हें श्रीमान ।।

कविता

2

है  सुन्दर  उपहार ज़िंदगी

सुख-दुख का भण्डार ज़िंदगी ।

 

तेरा- मेरा प्यार ज़िंदगी

मीठी- सी तकरार ज़िंदगी ।

 

खो बैठे धन अमर-प्रेम का

तब तो केवल हार ज़िंदगी ।

 

देती जो मुसकान, धरा का-

करती है शृंगार ज़िंदगी ।

 

काँटे-कलियाँ बीन-बीनकर

रचे सुगुम्फित हार ज़िंदगी।

 

इधर कुआँ है उधर है खाई

दोधारी तलवार ज़िंदगी ।

 

खूब मनाए मन का उत्सव

बन जाए त्योहार ज़िंदगी ।

3

जग में खूब हँसाई होगी

फिर तेरी रुसवाई होगी ।

 

नासमझी की बात न करना

कह दी बात पराई होगी ।

 

चर्चा है बस तेरी-मेरी

किसने बात चलाई होगी ।

 

सारी संगत मौन खड़ी थी

तूने बात उठाई होगी ।

 

किसकी बातों में सच होगा

किसने रस्म निभाई होगी ।

 

मन के हारे हार मिलेगी

जीते, जीत मिलाई होगी ।

 

उसका पलड़ा भारी , जिसके-

दिल में राम-रसाई होगी ।

4

तुम मुझको समझाया करते अच्छा था

थोड़ी प्रीत जताया करते अच्छा था ।

 

यादों में अक्सर रहते हो यूँ लेकिन

ख्वाबों में भी आया करते अच्छा था ।

 

माथे पर कुछ उलझी मेरी जुल्फों को

धीरे से सुलझाया करते अच्छा था ।

 

नदी किनारे टहला करते साथ ज़रा

कुछ पल संग बिताया करते अच्छा था ।

 

आँखें मूँदे तुमको सोचूँ तब मुझको

आँखों से पी जाया करते अच्छा था ।


 

डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा

वापी (गुजरात)

2 टिप्‍पणियां:

  1. सभी रचनाओं की बहुत सुंदर अभिव्यक्ति। हार्दिक बधाई ज्योत्सना जी। सुदर्शन रत्नाकर

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  2. आपके शब्द नव लेखन की प्रेरणा हैं दीदी , बहुत आभार , सदैव स्नेह और आशीर्वाद रहे आपका🙏

    जवाब देंहटाएं

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