सोमवार, 24 अक्तूबर 2022

व्याकरण विमर्श

 



डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्र

लिंग के संदर्भ से संज्ञा शब्दों के दो भेद बनते हैं -

१. प्राणीवाचक तथा २. अप्राणीवाचक।

फिर प्राणीवाचक शब्दों के दो भेद -

१. पुरुष (नर) और स्त्री (मादा) का अलग-अलग बोध कराने वाले युग्म शब्द। घोड़ा-घोड़ी, मोर-मोरनी, लड़का-लड़की, शेर-शेरनी ....।

२. पुरुष तथा स्त्री का एक साथ बोध कराने वाले एकल शब्द। कोयल, कौआ, गिलहरी, मगर ...।

घोड़ा शब्द से सिर्फ पुरुष (नर) प्राणी का बोध होता है और घोड़ी शब्द से सिर्फ नारी प्राणी का बोध होता है।

परंतु कौआ या कोयल कहने से नर-नारी दोनों का एक साथ बोध होता है।

जबकि लिंग की दृष्टि से कौआ शब्द पुल्लिंग है तथा कोयल शब्द स्त्रीलिंग है। कारण कि हिन्दी में दोनों के लिए अलग-अलग शब्द नहीं हैं।

ऐसे में अगर, आवश्यक होने पर नर-नारी को अलगाना हो तो क्या करेंगे?

इसके लिए भाषा-व्यवहार में एक व्यवस्था की गई।

पुल्लिंग या स्त्रीलिंग शब्द के साथ नर तथा मादा शब्द लगा देने से नर-नारी प्राणी का अलग-अलग बोध होता है।

यहाँ ध्यान रखने की बात यह है कि कौआ या कोयल शब्द के साथ नर या मादा शब्द जोड़ देने से कौआ या कोयल शब्द का लिंग नहीं बदलता।

बल्कि नर-नारी कौआ प्राणी का अलग-अलग बोध होने लगता है।

यह व्यवस्था सिर्फ नर-नारी प्राणियों की अलग-अलग पहचान के लिए है।

किसी शब्द का लिंग परिवर्तित करने के लिए नहीं।

मादा कौआ कहने से कौआ शब्द का लिंग नहीं बदलता है। बल्कि नारी कौआ प्राणी की पहचान सुनिश्चत होती है।

किंतु हिन्दी व्याकरण के लेखकों ने इस व्यवस्था को लिंग परिवर्तन का नियम मान लिया है। इससे हिन्दी व्याकरण के शिक्षक तथा छात्र उलझन में पड़ जाते हैं।

 

पुस्तक/पुस्तिका

ये दोनों शब्द स्त्रीलिंग हैं।

पुस्तक शब्द के साथ '-इका' प्रत्यय जोड़ कर पुस्तिका शब्द बना है।

'-इका' प्रत्यय स्त्री प्रत्यय है।

अर्थात् पुल्लिंग शब्द को स्त्रीलिंग बनाने वाला प्रत्यय।

लेखक - लेखिका

बालक -  बालिका

अध्यापक  -  अध्यापिका

लेकिन एक व्याकरण लेखक (सिर्फ जानकारी के लिख रहा हूँ। नाम नहीं बताऊँगा) ने पुल्लिंग से स्त्रीलिंग बनने वाले शब्दों के उदाहरणों में पुस्तक-पुस्तिका को भी दे रखा है।

परंतु एक सहज प्रश्न तो बनता ही है कि -इका' प्रत्यय पुल्लिंग शब्दों को स्त्रीलिंग बनाता है, तो फिर पुस्तक शब्द के साथ क्यों जुड़ा है? पुस्तक शब्द तो स्त्रीलिंग है ही। स्त्रीलिंग को स्त्रीलिंग बनाने का क्या मतलब!

उत्तर -

स्त्री प्रत्यय पुल्लिंग शब्द को स्त्रीलिंग तो बनाते ही हैं। वे पुल्लिंग/स्त्रीलिंग शब्दों को 'ऊनबोधक' भी बनाते हैं।

ऊनबोधक यानी अतिलघु आकर वाले पदार्थ का बोधक।

पुस्तक मोटी/पतली कैसी भी हो सकती है।

लेकिन पुस्तिका एकदम पतली पुस्तक, जिसे पुस्तक न कहा जा सके।

 

पुस्तिका शब्द अंग्रेजी के बुकलेट के लिए चलने वाला शब्द है।

लेखक-लेखिका की भाँति पुस्तक-पुस्तिका के बीच पुल्लिंग-स्त्रीलिंग का संबंध नहीं है।

चींटा/चींटी

ये दो शब्द कीड़ों की दो प्रजातियों के नाम हैं।

चींटा शब्द भले ही पुल्लिंग है। परंतु नर और मादा दोनों के लिए प्रयुक्त होता है – नर चींटा/मादा चींटा।

ऐसे ही, चींटी शब्द भले ही स्त्रीलिंग है। परंतु नर और मादा दोनों के लिए प्रयुक्त होता है – नर चींटी/मादा चींटी।

परंतु इनकी बनावट ऐसी है कि इनके आपस में पुल्लिंग-स्त्रीलिंग का युग्म होने का भ्रम हो जाता है।

इस भ्रम के शिकार सामान्य अध्यापक और छात्र तो होते ही हैं, भ्रम के शिकार कोशकार तथा व्याकरण लेखक भी होते हैं।

'अरविंद सहज समांतर कोश' के रचयिता श्री अरविंद कुमार ने अपने कोश में चींटा का अर्थ बड़ी चींटी और चींटी का अर्थ छोटा चींटा लिखा है।

वृहद् हिन्दी व्याकरण के लेखक प्रो. रविप्रकाश गुप्त ने भी चींटा का स्त्रीलिंग चींटी लिखा है।

कोशकार तथा व्याकरण लेखक की ऐसी भूल क्षम्य नहीं कही जा सकती।

उन्हें तो एक-एक शब्द की परख करके लिखना होता है।

ये दोनों शब्द अलग-अलग दो प्रजातियों के कीड़ों के नाम हैं। इनके बीच घोड़ा-घोड़ी या मुर्गा-मुर्गी की तरह पुल्लिंग-स्त्रीलिंग का संबंध नहीं हैं।

 

राम ने रावण को मारा।

यह वाक्य आजकल बहुत चर्चा में है।

कुछ लोगों ने मुझे बताया है कि यह वाक्य एक बोर्ड द्वारा तैयार की गई व्याकरण की पुस्तक में भाववाच्य का बताया गया है।

यह वाक्य तो कर्तृवाच्य का है। इसे भाववाच्य का क्यों बताया गया है।

इसे थोड़ा समझते हैं।

जो लोग इस वाक्य को (या ऐसे वाक्यों को) भाववाच्य का मानते हैं, उनका तर्क होता है कि इस वाक्य की क्रिया (मारा) न तो कर्ता के अनुसार है न कर्म के अनुसार। इसलिए यह वाक्य न तो कर्तृवाच्य का है न कर्मवाच्य का। इसलिए भाववाच्य का है।

यह सही है कि ऐसे वाक्यों की क्रिया न कर्ता के अनुसार होती है न कर्म के अनुसार -

१. कुत्ते ने बिल्ली को मारा।

२. कुत्तों ने बिल्ली को मारा।

३. कुतिया ने बिल्ली को मारा।

४. कुतियों ने बिल्ली को मारा।

इन वाक्यों की क्रिया (मारा) पर कुत्ता/कुत्तों/कुतिया/कुतियों के लिंग-वचन का प्रभाव नहीं है।

परंतु ऐसा वाच्य के कारण नहीं हुआ है। बल्कि 'ने' तथा 'को' परसर्गों के कारण हुआ है।

१. वाक्य के कर्ता के साथ ने परसर्ग का प्रयोग होने पर क्रिया कर्ता के  नियंत्रण से मुक्त हो जाती है।

२. अर्थात् ऐसे वाक्यों की क्रिया कर्ता के लिंग-वचन के अनुसार नहीं, बल्कि कर्म के लिंग-वचन के अनुसार होती है -

१. लड़के ने एक पत्र लिखा।

२. लड़के ने दो पत्र लिखे।

३. लड़के ने एक चिट्ठी लिखी।

४. लड़के ने दो चिट्ठियाँ लिखीं।

इन वाक्यों में क्रियारूप कर्म (पत्र/चिट्ठी) के रूपों के अनुसार बदले हैं।

३. परंतु कर्म के साथ जब 'को' परसर्ग का प्रयोग होता है, तब क्रिया कर्म के भी नियंत्रण से मुक्त हो जाती है। तब वह हर स्थिति में पुल्लिंग एकवचन में रहती है-

१. बच्चे ने किताब फाड़ दी। (कर्म के साथ को परसर्ग नहीं है। इसलिए क्रियारूप 'दी' है।)

अब को परसर्ग के साथ -

२. बच्चे ने किताब को फाड़ दिया।

३. बच्चे ने किताबों को फाड़ दिया।

४. बच्चे ने पत्र को फाड़ दिया।

५. बच्चे ने पत्रों को फाड़ दिया।

कर्म पुल्लिंग-स्त्रीलिंग/एकवचन-बहुवचन कुछ भी हो, क्रिया सभी के साथ पुल्लिंग एकवचन में ही है।

 

विशेष - सजीव कर्म के साथ अनिवार्यतः को परसर्ग आता है।

(संभव है, कोई प्रयोग इस नियम का अपवाद निकल आए।)

राम ने रावण को मारा।

यह वाक्य इसी प्रकार का है। कर्ता के साथ ने परसर्ग तथा कर्म के साथ को परसर्ग लगा हुआ है। इसी कारण क्रिया कर्ता तथा कर्म दोनों के नियंत्रण से मुक्त है।

परंतु इसका मतलब यह नहीं कि वाक्य भाववाच्य का हो गया।

वाच्य तो कर्तृवाच्य ही है।

एक दूसरी बात -

कोई भी वाक्य हो, अपने मूल स्वरूप में वह कर्तृवाच्य में ही होता है। अर्थात् कर्मवाच्य तथा भाववाच्य के वाक्य कर्तृवाच्य से ही बनते हैं।

ऐसे में यह प्रश्न उठेगा कि 'राम ने रावण को मारा' वाक्य यदि भाववाच्य में है, तो इसका कर्तृवाच्य क्या है?

किस कर्तृवाच्य के वाक्य का यह रूपांतरण है?

कोई जवाब नहीं।

आखिरी बात -

भाववाच्य अकर्मक क्रिया का होता है। सकर्मक क्रिया का नहीं।

सकर्मक क्रिया का भी भाववाच्य बनता है। परंतु ऐसा तब होता है, जब वाक्य में कर्ता और कर्म दोनों का लोप हो।

प्रस्तुत वाक्य में ऐसा नहीं है।

वाक्य की क्रिया सकर्मक है तथा कर्ता और कर्म दोनों वाक्य में मौजूद हैं।

फिर यह वाक्य भाववाच्य का कैसे हुआ!

विज्ञ जन विचार करें।

 



डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्र

40, साईंपार्क सोसाइटी, वड़ताल रोड

बाकरोल-388315, आणंद (गुजरात)

 

2 टिप्‍पणियां:

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