मंगलवार, 21 अक्टूबर 2025

अक्टूबर 2025, अंक 64

 



शब्द-सृष्टि

अक्टूबर 2025, अंक 64

शब्दसृष्टि का 64 वाँ अंक : प्रकाशपर्व की मंगलकामनाओं सहित.....– प्रो. हसमुख परमार

आलेख – दीपपर्व – डॉ. घनश्याम बादल

कविता – 1. दूर करें अंधियारा 2. अबकी बार दीवाली में – प्रेम नारायन तिवारी

आलेख – दीपावली की प्रासंगिकता और स्वरूप – डॉ. राजकुमार शांडिल्य

तेवरी – दीपावली – डॉ. ऋषभदेव शर्मा

लघुकथा – लक्ष्मी के दो रूप – प्रेम नारायन तिवारी

कविता – ऐ कवि लिख देना – डॉ. मोहन पाण्डेय भ्रमर

आलेख – अर्चना कोचर की कविताओं में सामाजिक यथार्थ और सांस्कृतिक चेतना – डॉ. नरेश सिहाग

लघुकथा – 1.भाग्य का लिखा 2. निर्णय – सविता मिश्रा ‘अक्षजा’

कृती व्यक्तित्व – लालबहादुर शास्त्री – सुरेश चौधरी ‘इंदु’

कृती व्यक्तित्व – कमाल की शख्सियत थे डॉ कलाम – डॉ. घनश्याम बादल

आलेख – हिंदी हाइकु कोश में बेटी विषयक हाइकु – तुकाराम पुंडलिक खिल्लारे

कविता – 1. कुकुर कथा 2. देशभक्ति – डॉ. सुपर्णा मुखर्जी

सामयिक टिप्पणी – 1.लाज़्लो : सर्वग्रासी अँधेरे में साहित्य की अदम्य लौ 2. मारिया कोरिना मचादो यानी लोकतंत्र की लौ! – डॉ. ऋषभदेव शर्मा

आलेख – वीर जटायु – प्रीति अग्रवाल

गीत – वाणी गूँगी – दुष्यंत कुमार व्यास

विशेष – 1. रामलीला मंचन का इतिहास और उसका वैश्विक परिप्रेक्ष्य 2. भारत की आर्थिक स्थिति : ऋण, विकास और बाह्य व्यापारिक दबाव – सुरेश चौधरी ‘इंदु’


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