शब्द-सृष्टि
जुलाई
2025, अंक 61
शब्द संज्ञान – ज़मीन तथा ज़मीं – डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्र
संस्मरण – एक था हृदयपाल सिंह ..... – डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्र
चोका – गुरु पूर्णिमा – प्रीति अग्रवाल
कविता – 1. वंचित क्यों रोटी से 2. ज़िंदगी का फ़लसफ़ा – डॉ. ज्ञानप्रकाश ‘पीयूष’
हाइकु – आषाढ़ घन – पार्वती देवी ‘गौरा’
गीत – आज यह गीत – इंद्र कुमार दीक्षित
कविता – 1. लहरों के पग रीते हैं ?? 2. देखता हूँ कौन है वो? – डॉ. मोहन पाण्डेय भ्रमर
कविता(मनहरण घनाक्षरी) – शिव – ज्योत्स्ना शर्मा प्रदीप
सामयिक टिप्पणी – एक थी रिधन्या ! – डॉ. ऋषभदेव शर्मा
प्रेमचंद
विशेष
आलेख – मुंशी प्रेमचंद : हिंदी साहित्य के युगद्रष्टा – अपराजिता ‘उन्मुक्त’
आलेख – प्रेमचंद के देसिल बयना : संदर्भ ‘गुल्ली डंडा’ का – डॉ. ऋषभदेव शर्मा
आलेख – मुंशी प्रेमचन्द – डॉ. राजकुमार शांडिल्य
आलेख – मुंशी प्रेमचंद – एम. संध्या
काव्य रूपांतर – ईदगाह – डॉ. अनिल कुमार बाजपेयी काव्यांश
आलेख – यूँ ही नहीं बन जाता कोई ‘प्रेमचंद’ – डॉ. घनश्याम ‘बादल’
कहानी पर बात – ‘बाबा जी का भोग’ कहानी से गुजरते हुए… – सुशीला भूरिया
कविता – कलम के सिपाही प्रेमचंद – डॉ. ज्ञानप्रकाश ‘पीयूष’
बहुत ही सुंदर अंक....स्तरीय विषय सामग्री।
जवाब देंहटाएंपरामर्शक की कलम से.....पढ़कर बहुत ही अच्छा लगा।
प्रो.हसमुख परमार सर की लेखनी और अंक की विषयगत विविधता तथा प्रकाशन नियमितता सराहनीय।
💐🙏
Hiya
विषयों की विविधता लिए हुए बेहतरीन अंक। यह आप सब के परिश्रम का परिणाम है। शब्द-सृष्टि अंक की हमेशा प्रतीक्षा रहती है। स्तरीय रचनाओं लिए सभी रचनाकारों को बधाई। सुदर्शन रत्नाकर
जवाब देंहटाएंविशुद्ध साहित्यिक अंक, मुंशी जी को समर्पित इसका दूसरा भाग भी विशेष है।
जवाब देंहटाएंबधाई, शुभकामनाएँ।