डॉ.
ज्ञानप्रकाश ‘पीयूष’
1.
वंचित
क्यों रोटी से
मजदूर
पसीना बहाता
पसीने
में नहाता
खून
अपना सुखाता
तन
दिनभर जलाता
फिर
भी वंचित क्यों रोटी से
प्रश्न
अनेक हैं उठते
जवाब
संतोषजनक नहीं मिलते
भूखा
वह रहे नहीं
भूख
से मरे नहीं
बुनियादी
वस्तु चाहिए।
***
2.
ज़िंदगी
का फ़लसफ़ा
ज़िंदगी
का फ़लसफ़ा है साफ़
चाहता
है आदमी प्यार
अंतरंगता,आत्मीयता और दुलार
मिल
जाता जब अपनों से
बाहर
नहीं झाँकता
रहता
मगन अपनों में
वंचित
रहने पर जोड़ता सम्बन्ध
अपरिचित-अनजानों
से
खा
जाता धोखा भी कभी
हो
जाता छल-छद्म का शिकार।
***
डॉ.
ज्ञानप्रकाश ‘पीयूष’ आर. ई. एस.
पूर्व
प्रिंसिपल,
साहित्यकार
एवं समालोचक
1/258,
मस्जिदवाली गली, तेलियान मोहल्ला,
नजदीक
सदर बाजार ,सिरसा -125055(हरि.)
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