रविवार, 12 नवंबर 2023

कविता

 



हेमन्त ऋतु

सुरेश चौधरी

 

आनंद   आगमन  संग'  अंशुमान   ईशान*  है

रविप्रभा  में   हरित  दुकूल  धारता   उद्यान है

भानु का आतप  अनजान है' शीत का भान है

अहर्ता* मृदु भान है सांध्य प्रभास* प्रतिमान है

 

ऋतु  शीत है, धरा'  तुहिन पोषित है, संगीत है

मकरंद  सरोरुह* अर्जित   है, भ्रमर  गुंजित है

कलत्व*- मुदित   राग गुंजित है मदन ग्रषित है

मंजरी  झूम  झूम पल्लवित  है, तन स्पंदित है

 

अनधीत्य* निकट कंत  है, गलबहियाँ अनंत है

अरुणोदित  क्षितिज  दिगंत है, आया  हेमंत है

रूपसी लिए रूप चहुँदिक्  पिय प्रतीक्ष्यन्त* है

पिय  सी मधुर  शीत  सूर्यकांति  धरा  पर्यंत है

 

हेमंत हिम हिरण्य* है, हिमांशु  हिमाद्रि  हेम है

सित* शीत की' शीतता में शीत  शाश्वत  प्रेम है

तोषित तुषार तुहिन तट पर  तरणि* तके उद्वेग

मन मोहित मुस्कान मदिर, मर्यादित मन   वेग

 

कुछ शब्दों का अर्थ

ईशान: भगवान, अहर्ता: मीठी धूप, प्रभास: द्युति, सरोरुह: कमल,

कलत्व- संगीत, अनधीत्य: बारम्बार, प्रतिक्ष्यन्त : प्रतीक्षा का अंत,

हिरण्य : सोना, सित :सफेद, तरणि : सूर्य




सुरेश चौधरी 

एकता हिबिसकस

56 क्रिस्टोफर रोड

कोलकाता 700046


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अप्रैल 2024, अंक 46

  शब्द-सृष्टि अप्रैल 202 4, अंक 46 आपके समक्ष कुछ नयेपन के साथ... खण्ड -1 अंबेडकर जयंती के अवसर पर विशेष....... विचार बिंदु – डॉ. अंबेडक...