“गुजरात के हिन्दी हाइकुकार : एक सर्वेक्षणपरक अध्ययन”
विषयक शोध कार्य पर पीएच.डी.....
हिन्दी हाइकु काव्य को लेकर हुए अकादमिक उपाधि [पीएच.डी.] सापेक्ष शोध की सूची में अप्रैल-2025 को एक और शोध कार्य शुमार हुआ। पिछले लगभग चार वर्षों से, स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग, सरदार पटेल विश्वविद्यालय, वल्लभ विद्यानगर [गुजरात] के प्रोफेसर डॉ. हसमुख परमार के कुशल निर्देशन में ‘गुजरात के हिन्दी हाइकुकार : एक सर्वेक्षणपरक अध्ययन’ विषय पर शोध कर रही साईनबानुं ईस्माईलभाई मोरावाला का यह शोध कार्य पीएच. डी. उपाधि हेतु संपन्न व स्वीकृत हुआ। अपनी इस विशेष उपलब्धि के लिए, डॉ. साईनबानुं मोरावाला को आत्मीय अभिनंदन । साथ ही, उज्ज्वल भविष्य के लिए स्नेहाशीष !
विगत
चौबीस वर्षों से सरदार पटेल विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग में बतौर
प्रोफेसर कार्यरत डॉ. हसमुख परमार के निर्देशन में कथा साहित्य,
काव्य, लोक साहित्य, आलोचना,
काव्यशास्त्र- सौंदर्यशास्त्र, भाषा व
भाषाविज्ञान, दलित व आदिवासी साहित्य प्रभृति विषय क्षेत्रों
में एम.फिल. तथा पीएच.डी. उपाधि हेतु अनुसंधान करने वाले व कर रहे अनेक अनुसंधित्सुओं
में हिन्दी हाइकु संबंधी पीएच. डी. शोध कार्य करने वाले शोधार्थियों में साईनबानुं
उनकी दूसरी शोध छात्रा है। साईनबानुं से पूर्व वर्ष 2018 में
डॉ. पूर्वा शर्मा ने भी प्रो. परमार जी के निर्देशन में उक्त विषय पर अपना
पीएच. डी. शोध पूर्ण किया था।
हम
जानते हैं कि हिन्दी साहित्य की विविध विधाओं एवं गद्य-पद्य की एकाधिक शैलियों में
सृजन-लेखन, हिन्दी क्षेत्रों के साथ-साथ हिन्दीतर
प्रांत-प्रदेशों के सर्जकों-लेखकों द्वारा भी खूब हुआ है और हो रहा है। हिन्दी में
हाइकु सृजन भी ‘भारतीय’ कवियों की रुचि का एक विशेष विषय रहा है। हिन्दी हाइकु
सृजन की बड़ी ही दीर्घ व दृढ़ परंपरा में गुजरात के हाइकु कवियों का अवदान भी
अविस्मरणीय है। अपने प्रबंध में डॉ. साईनबानुं ने हिन्दी के अनेकों हाइकु
कवियों-कवयित्रियों के हाइकु सृजन का उल्लेख-परिचय देते हुए विशेष अध्ययन हेतु
गुजरात के चयनित आठ हिन्दी हाइकुकारों – डॉ. भगवतशरण अग्रवाल, आचार्य रघुनाथ भट्ट, कान्ति अय्यर, मुकेश रावल, डॉ. धनंजय चौहाण, डॉ.
धीरजभाई वणकर, डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा तथा डॉ. पूर्वा शर्मा के हाइकु काव्य का गंभीरतापूर्वक विस्तृत
विवेचन-विश्लेषण किया है।
(डॉ. साईनबानुं मोरावाला)
साईनबानुं
के शोध प्रबंध को आद्यंत देखने-पढ़ने के पश्चात यह कहना अत्युक्ति न होगी कि बहुत
ही वैज्ञानिक व सुव्यवस्थित ढंग से शोध विषय को प्रबंध में सोदाहरण
व्याख्यायित-विश्लेषित फिया गया है। आलोच्य विषय संबंधी पर्याप्त सामग्री के संकलन
में,
उसके मूल्यांकन में, उसके
शास्त्रीय-सैद्धांतिक व व्यावहारिक विवेचन-विश्लेषण में, उसकी
मौलिक व्याख्या में तथा शोधपरक निष्कर्ष-निचोड़ में अनुसंधित्सु साईनबानुं की मेहनत,
अध्ययन, उत्साह, रुचि
तथा शोध परक व समीक्षात्मक समझ बखूबी दिखाई देती है।
पुनश्च
डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी की उपाधि के लिए डॉ. साईनबानुं ईस्माईलभाई मोरावाला को हार्दिक बधाइयाँ !
साइन बानू को हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाईयां,
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