बुधवार, 26 जुलाई 2023

चौपाई

 




चौपाई

डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा

निशा चंद्रिका चतुर सहेली

चली भोर को छोड़ अकेली ।।

शिखर ओट रवि छुपके झाँके

नाच उठें तरुवर अति बाँके ।।

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उषा संग अम्बर हर्षाए ।

गीत मधुर पंछी ने गाए ।।

सौरभ सुमन बिखेरें पावन

यज्ञ होम गुंजन मनभावन ।।

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अद्भुत है सखि कला छली की

भ्रमर वंदना करे कली की ।।

पवन मुदित मन गुनगुन गाए।

छेड़ तान आगे बढ़ जाए ।।

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अरी तलैया क्यों मन प्यासा ।

विरह-घड़ी घट घना उदासा ।।

पुरवा क्या संदेशा लाई ।

खिले कमल ज्यों तुम मुसकाई ?

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गगन घिरे घन बड़े सलोने

भरें चौकड़ी ज्यों मृग छौने ।।

उच्च शिखर से जा टकराएँ

फूट-फूट आँसू बिखराएँ ।।

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बड़े लाड़ से पवन दुलारे

दे गलबहियाँ ताप उतारे ।।

चल दी फिर मेघों की टोली

छेड़छाड़ करते हमजोली ।।

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रस छलकाते भटकें छैला

धुला धरा का आँचल मैला ।।

भरते ताल नदी नद सारे

ओ घन श्याम ! लगो तुम प्यारे ।।

 


डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा

वापी (गुजरात)

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