शनिवार, 11 सितंबर 2021

कविता

 




माँ तेरे वास्ते

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अनिल वडगेरि

 

माँ तेरे वास्ते

जाँ मेरी निसार है ।

रंग तेरे बलिदान का

हर दिशा में छाया है।

 

सात समुंदर पार भी माँ

तेरी ही महिमा सबकी जुबानी ।

चाँद भी अब कह रहा

तेरी ममता की कहानी ।

 

देश प्रेम ही धर्म हमारा

है न कोई तुझसे बड़ा ।

तेरे चरणों की धूल ने ही

मेरी जिंदगी में रंग भरा ।

 

बागों की कलियों में ,

सावन की बूँदों में,

रातों के जुगुनुओं में,

तेरी ही परछाइयाँ ।

 

माँ तेरे वास्ते

जाँ मेरी निसार है ।

रंग तेरे बलिदान का

हर दिशा में छाया है।

 

बहते लहू की बूँद में भी

दिखता तेरा रूप वंही माँ ।

डर भी हमसे डर रहा है

दिल में जब तुम रहती हो माँ ।

 

छोड़ चले जो अपने घर को

सरहद पै खिले वे फूल बन के ।

 

माँ तेरे वास्ते

जाँ मेरी निसार है ।

रंग तेरे बलिदान का

हर दिशा में छाया है।

 

जिंदगी तेरी, साँस भी तेरी

तेरी मिट्टी ही मंजिल मेरी।

जान है मेरी तेरे कदमों में

आ के रुक जाएँ अरमाँ मेरे ।

 

रागों की महफिल में,

फूलों की खुशबू में,

सरहद के सपनों में

तेरी ही परछाईं ।

 

माँ तेरे वास्ते

जाँ मेरी निसार है ।

रंग तेरे बलिदान का

हर दिशा में छाया है।

 

सात समुंदर पार भी माँ

तेरी ही महिमा सब की जुबानी ।

चाँद भी अब कह रहा

तेरी ममता की कहानी ।

 



अनिल वडगेरि

सरकारी प्रौढ शाला बोलंतिमोगरु

पोस्ट : विट्ला, तालुक : बंट्वाल

जिला : दक्षिण कन्नड - 574243

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