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अनिल
वडगेरि
माँ तेरे वास्ते
जाँ
मेरी निसार है ।
रंग
तेरे बलिदान का
हर
दिशा में छाया है।
सात
समुंदर पार भी माँ
तेरी
ही महिमा सबकी जुबानी ।
चाँद
भी अब कह रहा
तेरी
ममता की कहानी ।
देश
प्रेम ही धर्म हमारा
है
न कोई तुझसे बड़ा ।
तेरे
चरणों की धूल ने ही
मेरी
जिंदगी में रंग भरा ।
बागों
की कलियों में ,
सावन
की बूँदों में,
रातों
के जुगुनुओं में,
तेरी
ही परछाइयाँ ।
माँ
तेरे वास्ते
जाँ
मेरी निसार है ।
रंग
तेरे बलिदान का
हर
दिशा में छाया है।
बहते
लहू की बूँद में भी
दिखता
तेरा रूप वंही माँ ।
डर
भी हमसे डर रहा है
दिल
में जब तुम रहती हो माँ ।
छोड़
चले जो अपने घर को
सरहद
पै खिले वे फूल बन के ।
माँ
तेरे वास्ते
जाँ
मेरी निसार है ।
रंग
तेरे बलिदान का
हर
दिशा में छाया है।
जिंदगी
तेरी,
साँस भी तेरी
तेरी
मिट्टी ही मंजिल मेरी।
जान
है मेरी तेरे कदमों में
आ
के रुक जाएँ अरमाँ मेरे ।
रागों
की महफिल में,
फूलों
की खुशबू में,
सरहद
के सपनों में
तेरी
ही परछाईं ।
माँ
तेरे वास्ते
जाँ
मेरी निसार है ।
रंग
तेरे बलिदान का
हर
दिशा में छाया है।
सात
समुंदर पार भी माँ
तेरी
ही महिमा सब की जुबानी ।
चाँद
भी अब कह रहा
तेरी
ममता की कहानी ।
अनिल
वडगेरि
सरकारी
प्रौढ शाला बोलंतिमोगरु
पोस्ट
: विट्ला, तालुक : बंट्वाल
जिला
: दक्षिण कन्नड - 574243
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