प्रीति
अग्रवाल ‘अनुजा’
1.
हर
लम्हा है मंज़िल,
अरे
बेखबर !
ये
न लौटेगा फिर,
इसे
ज़ाया न कर !!
2.
कहाँ
पहुँचने की जल्दी, में
मसरूफ़
थे....
जो
फ़ुर्सत मिली,
तो
अब सोचते हैं.....।
3.
मेरी
रूह को न बाँधो,
थकोगे
तुम्हीं...
क्या
हवाएँ बँधी हैं,
या
बँधेंगी कभी......!!
4.
आजमाएँगे
कब,
ये जो
अब
तक पढ़ा ....
इम्तिहानों
में क्या
ज़िंदगानी
कटेगी....?
5.
यूँ
पलकों पे अपनी,
बिठाना
सँभल.......
हमें,
नज़रों से गिरना,
गवारा
नहीं है!
6.
बातों
का क्या,
वो
तो कोई भी सुन ले.....
जो
चुप्पी सुने,
सच्चा
साथी वही ....!
7.
मेरे
बारे में कुछ भी,
किसी
से न कहना....
मुझे
कोने में दिल के,
तुम
रखना छुपाकर.....।
8.
‘मैं ठीक हूँ’, चाहे
सौ
बार दोहरा लूँ.....
तुम
पकड़ लोगे झूठ,
तुम
मुझे जानते हो !
9.
पलकों
तक आए,
पर
छलके नहीं.....
लो
फिर हमनें, आँसू
पिए
आज हँसकर!
10.
चलो
बाँट लें,
आधी-आधी
सज़ाएँ....
जो
बढ़ती हो,
तुम
मेरे
हिस्से में दे दो!
11.
बहकी-
बहकी है चाल,
गुनगुनाता
है मन.....
मुहब्बत
की तितली ने
जबसे
छुआ है....!
12.
जबसे
नैनों में, तुमने
बसेरा
किया....
उड़ी
नींद,
उसका,
ठिकाना
छिना....!
13.
सब्र
बेशुमार!
......भला
क्या करूँगी?
वो
जानता था,
मुझको
ज़रूरत
पड़ेगी!
प्रीति
अग्रवाल ‘अनुजा’
कैनेडा
क्या बात है प्रीति । अति सुंदर भावपूर्ण मुक्तक। बधाई।
जवाब देंहटाएंमेरा मनोबल बढ़ाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद सविता जी!
हटाएंसभी मुक्तक सुंदर लगे |
जवाब देंहटाएंपुष्पा मेहरा
हार्दिक आभार पुष्पा जी, बहुत खुशी हुई कि आपको पसंद आए!
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