1.
वसंत-सेना
‘मदनोत्सव’ हेतु
सजी खड़ी है ।
2.
‘काम-दहन’
शिव-श्राप से ग्रस्त
हुए ‘अतनु’ ।
3.
रति- विलाप
द्रवित आशुतोष
पुन: जीवन ।
4.
‘मनोज’ बन
मचा रहे ऊधम
वसन्त-संग !
5.
रोके न रुकी
वसंत आते देख
घाटी की हँसी ।
6.
चैत जो आया
सजने लगी घरा
वासन्ती सज्जा ।
7.
खिले गुलाब
चहली बुलबुल
प्रणय-गीत ।
8.
ऋतु ने न्योता
लाज से लाल हुआ
बॉटल-ब्रश ।
9.
शोख तितली
फूलों से छेड़खानी
करती फिरे ।
10.
हवा के कानों
चैत
फुसफुसाया
लो, मैं आ गया ।
11.
पीतिमा रँगी
प्रेम-पाती भेजती
धरा, पिया को ।
12.
भोर वासन्ती :
अरूणिम साड़ी में
सुवर्ण बिन्दी ।
13.
पीत- बसन
प्रेम-वाँशी बजाता
बसंत आया ।
डॉ. सुधा गुप्ता
मेरठ
(रमेश कुमार सोनी)
1
माली
उठाते
बसंत
के नखरे
भौंरें
ठुमके।
2
बासंती
मेला
फल-फूल,रंगों का
रेलमपेला।
3
फूल
ध्वजा ले
मौसम
का चितेरा
बसंत
आते।
4
बागों
के पेड़
रोज
नया अंदाज़
बसंत
राज।
5
आओ श्रीमंत
दिखाऊँ
कौन रंग
कहे
बसंत।
6
फूल-भँवरे
मदहोश
शृंगारे
ऋतुराज
में।
7
बसंत
गली
भौंरें
मचाए शोर
मधु
की चोरी।
8
बसंत
आते
नव
पल्लव झाँके
शर्माते हरे।
9
खिले-बौराए
कनक
सा बसंत
झरे
बौराए ।
10
फूल
चढ़ाने
पतझर
के कब्र
बसंत
आते।
कबीर नगर
रायपुर, छत्तीसगढ़
बहुत सुन्दर वासन्ती हाइकु ! बधाई ,सादर नमन 🙏
जवाब देंहटाएंडॉ सुधा दीदी जी के बसंत के मदमाते हाइकु अपनी रंगीन छटाएँ लिए प्रस्तुत हुईं हैं। बधाई। इनके हाइकु इसी तरह पढ़ने को मिलती रहे।
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत हाइकु!आद.सुधा जी एवँ आद.रमेश भाईसाहब को हार्दिक बधाई।
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