अमेरिका
यात्रा के कुछ अंश( वर्ल्डट्रेडसेंटर)
सुरेश
चौधरी
UNO
भवन के पश्चात् हम अपने अंतिम गंतव्य की ओर चले, यह वह स्थल था जहाँ ११ सितम्बर
२००१ में वह त्रासदी हुई थी जिसने पूरे विश्व को हिला कर रख दिया था, दो सर्वाधिक ऊँची इमारतों को आक्रान्ताओं ने गिरा दिया था, हम सब मात्र यह जानते हैं की वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की दो इमारतों को गिराया
गया, जबकि वास्तिवकता यह है की इस परिसर में कुल ६ इमारतें थीं २ ऊँची और ४ अन्य, इनमे २ ऊँची एवं 3 छोटी इमारतें ध्वस्त हुई थी, एक दिन में ४ स्थानों
पर हवाई जहाज से एक ही समय पर हमला किया
गया था, जिसमे २ वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, १
मिलटरी मुख्यालय पेंटागन ,४था व्हाइट हाउस पर , ४था हमला यात्रियों ने नाकाम कर दिया, उन्होंने सोचा
मरना तो है ही तो क्यूँ न ईमारत बचाई जाए और इस तरह ४ था विमान पेंसिलवानिया में
फटा, इन चार हमलों में कुल ३००० से ज्यादा लोगों की जाने गईं,
जिस स्थान पर वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की इमारतें थी वहाँ पुनः निर्माण
हो रहा था, इस नवीन निर्माण में एक बहुमंजिला इमारत पुरानी इमारत की इतनी ऊँची बन चुकी थी, बाकि ५ की जगह ४ छोटी इमारते
बननी हैं उनमे २ बन चुकी हैं और २ बन रही हैं। इस स्थल पर एक संग्रहालय बनाया गया
है जिसमे वर्ल्ड ट्रेड सेंटर से सम्बंधित सारी वस्तुएँ रखी गयी हैं, जैसे कुछ मलबों का हिस्सा, कुछ कार्यालयों के बचे
हिस्से, घटना का नाट्य रूपांतर इत्यादि। जिस स्थल पर दो
मुख्य इमारतें थी वहाँ बड़े बड़े दो कुंड बनाए गए हैं जिस में हर वक्त जल गिरता रहता
है, इस कुंड के परकोटे पर काले संगमरमर से पट्टी लगी हुई है
जिस पर उन तमाम ३००० लोगों का नाम है जो शहीद हुए थे, कहते
हैं आज के दिन संसार का सबसे ज्यादा लोगों के दर्शन करने का स्थल (टूरिस्ट
अट्रैक्शन) अब यह ही हो गया है, अमेरिका जो भी जाता है वह
अवश्य इस स्थल को देखता है । इस स्थल को देख आँखे भारी हो उठी एवं मानवीय पशुता पर
क्रोध भी आया, कुछ पंक्तियाँ स्वतः निकल पड़ीं:
अश्रुपूरित
नयनों से करूँ........अर्पित श्रद्धांजलि
कलि
के इस काल में शीत समर की विरुदावली
आतंक
की छाया में,....... चाहते वे विश्व विजय
विडम्बना
शांतिदूत के शीश पर.... ..तड़ितावली
स्मृति
स्थली यह पवित्र है, .तीर्थ है मानवता का
निःसंकोच
यह दिवस है..मानसिक कलुषता का
चली
आंधी,
उडी मानवता,......धर्म की आड़ में
जिहाद
था या था घृणित कृत्य,....धर्मान्धता का
द्वेष
घृणा से,.....समवेत अंतस त्रस्त था समाज
आतंक
का यह घिनौना........चेहरा देखा आज
हाहाकार
मचा,....
देख दृश्य विश्व अचंभित था
शक्ति
को चुनौती दे रहा था,... एक महिष राज
छल
से,
दर्प से,.....वायुयान ले चला आक्रान्ता
गंतव्य
था विश्व का सर्वोच्च भाल.....महाकांता
दुर्दांत
हत्या,
दुर्दांत मनोदशा,.......का प्रतिफल
सहस्त्रों
निर्दोष शहीद हुए,........कैसी कृतान्ता
सुरेश
चौधरी
एकता
हिबिसकस
56
क्रिस्टोफर रोड
कोलकाता
700046
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