गुरुवार, 26 जून 2025

सामयिक टिप्पणी


ऑपरेशन सिंदूर : भारतमाता की जय!

डॉ. ऋषभदेव शर्मा

पहलगाम हमले के जवाब में भारतीय सशस्त्र बलों ने 6-7 मई, 2025 की रात ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम देकर आतंक के आकाओं को करारी चोट दी है। यह ऑपरेशन भारत की आतंकवाद के प्रति ‘शून्य सहिष्णुता’ नीति और सैन्य शक्ति का प्रतीक बन गया है।

याद रहे कि 22 अप्रैल, 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। लश्कर-ए-तैयबा से संबद्ध ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ द्वारा अंजाम दिए गए उस हमले में 26 निर्दोष नागरिक क्रूरता से मारे गए थे। पहलगाम हमले ने न केवल भारत की संप्रभुता को चुनौती दी थी, बल्कि पाकिस्तान पोषित आतंकवाद के घृणित चेहरे को एक बार फिर उजागर किया था। पहलगाम हमला 2008 के मुंबई हमले, 2016 के उरी हमले और अन्य आतंकी घटनाओं की शृंखला में एक और कड़ी था। इन सब हमलों के तार पाकिस्तान से जुड़े थे। भारत ने बार-बार पाकिस्तान को आतंकी तंत्र को नष्ट करने की चेतावनी दी थी। लेकिन उसकी निष्क्रियता ने भारत को निर्णायक कार्रवाई के लिए बाध्य किया।

कहना न होगा कि पहलगाम हमला कोई सामान्य घटना नहीं थी। आतंकियों ने जानबूझकर हिंदू पुरुषों को निशाना बनाया। उनकी पत्नियों का सुहाग छीन लिया! इस भावनात्मक आघात को ध्यान में रखते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके जवाबी ऑपरेशन का नाम ‘सिंदूर’ रखा, जो भारतीय संस्कृति में सुहाग का प्रतीक है।

ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों के नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट करना था। ये ठिकाने भारत के खिलाफ हमलों की साजिश के मुख्य केंद्र थे। इनके खिलाफ भारत की कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत आत्मरक्षा के अधिकार और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 51 के अनुरूप थी।

अब यह एक घोषित सच्चाई है कि भारतीय वायुसेना ने राफेल विमानों के साथ स्कैल्प मिसाइलों और हैमर बमों का उपयोग कर 23 मिनट में बहावलपुर, मुरीदके, कोटली, सियालकोट और मुजफ्फराबाद आदि में 9 ठिकानों को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। खुफिया एजेंसी रॉ की सटीक जानकारी और सेना, नौसेना तथा वायुसेना के संयुक्त प्रयासों ने इस ऑपरेशन को अभूतपूर्व बनाया। कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने प्रेस ब्रीफिंग में वीडियो साक्ष्य प्रस्तुत कर साबित किया कि हमले केवल आतंकी शिविरों तक सीमित थे, किसी नागरिक या सैन्य ढाँचे को नुकसान नहीं पहुँचा। वैश्विक समुदाय - विशेष रूप से अमेरिका, रूस और इजरायल -  ने इस सटीकता की सराहना की है।

इसमें संदेह नहीं कि ऑपरेशन सिंदूर ने तात्कालिक रूप से आतंकी संगठनों की कमर तोड़ दी है। जैश-ए-मोहम्मद के नेता मसूद अजहर के परिवार के 10 सदस्यों समेत अनुमानित 90 से अधिक आतंकी मारे गए। पाकिस्तान को कूटनीतिक और सैन्य रूप से बैकफुट पर ला दिया गया। उसका यह दावा कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया द्वारा खारिज कर दिया गया कि हमले में मस्जिदों या नागरिकों को नुकसान पहुँचा।

            दूरगामी प्रभाव की बात करें तो मानना होगा कि इस ऑपरेशन ने भारत की सैन्य और कूटनीतिक ताकत को विश्व पटल पर स्थापित किया। चीन को किनारे रखने और संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की शिकायत को तवज्जो न मिलने से भारत की कूटनीतिक जीत स्पष्ट हुई। इस ऑपरेशन का आतंकवादियों और उनके प्रायोजकों के लिए स्पष्ट संदेश है कि भारत न तो भूलता है, न माफ करता है!

यहाँ यह कहना बेहद ज़रूरी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दृढ़ नेतृत्व, रातभर ऑपरेशन पर नजर रखने की प्रतिबद्धता और महिला सैन्य अधिकारियों को प्रेस ब्रीफिंग के लिए चुनना, भारत की सशक्त और समावेशी छवि को दर्शाता है। रक्षा मंत्री का ‘भारत माता की जय’ का उद्घोष और सेना की त्रुटिहीन रणनीति ने देशवासियों में गर्व की भावना जागृत की है। भारतीय सेना ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि वह विश्व की सर्वश्रेष्ठ सेनाओं में से एक है।

ऑपरेशन सिंदूर’ केवल सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की अटल प्रतिबद्धता, संकल्पशक्ति और एकजुटता का प्रतीक है। यह देश के लिए गर्व का क्षण है, जो आने वाली पीढ़ियों को आतंक के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा देगा। … और हाँ यह अंत नहीं, शुरूआत है। कवयित्री वर्षा शर्मा के शब्दों में –

आज सहिष्णू भारत ने, बदला अपना किरदार है!

नींदों में भी काँप रहा, दुश्मन जो सीमापार है!!

 

डॉ. ऋषभदेव शर्मा

सेवा निवृत्त प्रोफ़ेसर

दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा

हैदराबाद

 

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