सोमवार, 31 मार्च 2025

कविता

डॉ. नरेश सिहाग

1

दर्द का उजाला

 

मेरे तो दुःख भी जमाने के काम आते हैं, 

मैं रो पड़ूँ तो कई लोग मुस्कुराते हैं। 

 

बाँटता रहा मैं सदा खुशियों की चाँदनी, 

पर मेरी रातों में चिराग भी बुझ जाते हैं। 

जो सवाल दिल में उठे, लबों तक आए नहीं, 

वही जवाब बनकर दुनिया दोहराते हैं। 

 

मैंने चाहा था कि कोई दर्द अपना कहे, 

पर यहाँ आँसू भी तमाशा बन जाते हैं। 

 

चलो अब मुस्कुराकर जिएँ इस भीड़ में, 

बोहल ज़ख्म भी यहाँ फूलों से सजाए जाते हैं।

 

2

जमाना

 

जमाने में आए हो तो जीने का हुनर रखना, 

हर मोड़ पे मुश्किल हो, तो सीने में सब्र रखना। 

 

तुम्हें दुश्मनों से इतना खतरा नहीं होगा, 

मगर अपनों के खंजर से दिल पर नज़र रखना। 

 

हर लफ्ज़ में सच्चाई की खुशबू बसी हो यूँ, 

झूठों की इस भीड़ में खुद का असर रखना। 

 

जो साथ न दे पाए, वो अपना नहीं होता, 

रिश्तों की किताबों में ये एक मगर रखना। 

 

अँधेरों से मत डरना, तू आफ़ताब बन जा, 

हर हाल में दिल में तू जलता शरर रखना।

 

3

गाँव

 

शहर जाने के लिए कभी गाँव मत छोड़ना लोगों, 

शहर में ज़िंदा तो रहोगे, लेकिन जी नहीं पाओगे। 

 

माटी की सौंधी ख़ुशबू को मत भूल जाना, 

चमकते शीशों में अपना अक्स ही खो जाओगे। 

 

पेड़ों की छाँव, वो गलियाँ, वो चौपाल के क़िस्से, 

इन्हें छोड़कर बस भीड़ का हिस्सा बन जाओगे। 

 

यहाँ रिश्ते दिल से जुड़े, वहाँ मतलब से होंगे, 

घर होगा बड़ा, मगर अपनापन नहीं पाओगे। 

 

जो छोड़कर गए, वो लौटने को तरसते रहे, 

पर वक़्त की धारा में फिर ठहर नहीं पाओगे।

 

4

इंसान और शेयर मार्केट

 

इंसान भी अब बाज़ार सा हो गया, 

कभी ऊँचाई पर, कभी खो गया। 

भाव बदलते हर पल, हर घड़ी, 

कौन कब गिर जाए, खबर ही नहीं। 

 

कभी उम्मीदों का सेंसेक्स चढ़ता, 

तो कभी ग़मों का ग्राफ़ लुढ़कता। 

संबंधों की डील रोज़ होती, 

फायदे में दोस्ती, नुकसान में रोती। 

 

जो कल तक था बुलंदी पर, 

आज ज़मीन पर पड़ा है दर-ब-दर। 

रिश्ते भी अब स्टॉक्स सरीखे, 

सुधरते-बिगड़ते, बदलते तरीके। 

 

इंसानियत के शेयर में गिरावट क्यों आई? 

मूल्य तो थे ऊँचे, फिर कमी कैसे आई? 

लालच का निवेश जब ज़्यादा हुआ, 

सच्चाई का बाज़ार तब बर्बाद हुआ। 

 

तो चलो थोड़ा भरोसा खरीद लें, 

स्नेह-ममता का व्यापार करें। 

बोहल दुनिया के इस मार्केट में, 

फिर से मोहब्बत का कारोबार करें।


 

डॉ. नरेश सिहाग

एडवोकेट

गुगन निवास 26, पटेल नगर

भिवानी – हरियाणा

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