सोमवार, 31 मार्च 2025

कविता

 

जब शब्दों के अर्थ निकलते हैं

मोहिनी शर्मा

जब शब्दों के अर्थ निकलते हैं, तब अर्थ के मान तय होते हैं।

सही शब्दों के सार्थक अर्थ, मान बढ़ाते  हैं ।

वहीं गलत शब्दों के निरर्थक अर्थ, बेमानी हो जाते हैं ।

अगर समान शब्दों का केवल क्रम बदलते हैं,तब भावार्थ बदल ही जाता है ।

उदाहरणार्थ- काफी अकेला हूँ या अकेला काफी हूँ  ,

 में भावार्थ नकारात्मक और सकारात्मक की भेंट चढ़ जाता है ।

शब्दों के अर्थ का ज्ञान ही,उचित-अनुचित का प्रयोग  सिखाता है ।

 शब्दों के प्रयोग से पहले, अर्थ की पहुँच  का ध्यान  रहे ।

शब्दों के अर्थ दूर तक जाते हैं,

या तो यह मरहम बनते हैं या फिर नश्तर बन जाते हैं ।

 

शब्दों को परोसने से पहले, स्वयं स्वाद जरूर चखो तुम,

अगर  यह  स्वादिष्ट लगे, तब ही इसका प्रयोग करो तुम ।

 वर्ना रसहीन शब्द प्रयोग के जिम्मेदार तुम स्वयं बनोगे ।

फिर अपने आप को शब्दों के जाल में तुम खुद बुनोगे

आओ, इस ओर विशेष ध्यान करें , जब शब्दों के प्रयोग के अर्थ निकलते हैं,

         तब इसमें हमारे संस्कार झलकते हैं,

         तब इसमें हमारे संस्कार झलकते हैं ।

       


 

मोहिनी शर्मा

( सेवानिवृत्त शिक्षिका )

        शिक्षा विभाग यू .टी .चंडीगढ़

10 टिप्‍पणियां:

  1. वाह !वाह!बिल्कुल सही!🙏🏼

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  2. Very nice Mohini keep it up God bless you 👍👍👍👌👌👌🌹🌹🌹

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  3. बहुत खूब मैडम जी...
    अनुपमा

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  4. बहुत सुन्दर कविता Ma'am

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  5. Mohini Sharma -- आप सभी का मन से धन्यवाद 🙏

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  6. Bahut ache thoughts and message - Manuj Puja

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