सोमवार, 31 मार्च 2025

कविता

 

तेरा नाम है नारी

मीनू बाला

तेरा नाम है नारी

जीवन में अनंत मुश्किलों ने तुम्हें रोका

आगे बढ़ते हुए जीवन में कई बार तुझे गया टोका

 नाकामयाबियों का,असफलताओं का कई बार आया तेरे जीवन में झोंका

परंतु तू न हारी, परंतु तू न हारी

क्योंकि तेरा नाम है नारी

अपने जीवन में तू कब है हारी

जब लोगों ने तेरा मौन ना समझा

रोते, चिल्लाते देखकर भी तुम्हें कहा ना गया थमजा

चुप्पी को माना गया तेरी कमज़ोरी

जब तूने  बोलने की चेष्टा की

 तो भी तुम्हारे लिए कोई राह ना गई छोड़ी

जीतते-जीतते कई बार तू अपने आप से है हारी

 क्योंकि तेरा नाम है नारी

अगर समय मिले तो कभी खुद को भी पहचाना

 कभी वो कर जो तुम्हें लगे मनभावन

  जाने क्यों मुझे लगती है तू प्यारी

घर,परिवार,समाज की सजती है तुझसे ही फुलवाड़ी

माँ, बहन ,पत्नी, बेटी हर रूप में गई है तू स्वीकारी

तुम बिन इस समाज का अस्तित्व

 सोचना भी है भारी

सोचना भी है भारी

क्योंकि तेरा नाम है नारी

कभी खुद के लिए भी जीवन जी

कभी खुद के लिए भी खुशफहमियों को पाल

क्योंकि तू ही है इस  समाज की ढाल

तुझ पर करती हूँ न्योछावर अपना हर शब्द, अपनी हर बारी

 क्योंकि तेरा नाम है नारी

                                ***                           


मीनू बाला

(हिंदी शिक्षिका)

रा.आ.व.मा.वि., विभाग-39 सी,

चंडीगढ़


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