सोमवार, 31 मार्च 2025

कविता

 



मैं भारत की नारी हूँ

सुरेश चौधरी

मैं भारत की नारी हूँ

पृथा सी सहनशील अति धीर हूँ ।

किसी चित्रकार की कल्पना की खींची सी तस्वीर हूँ

टुकड़ों टुकड़ों में बँटी गृहस्थी की तकदीर हूँ।

क्या हूँ, क्या नहीं हूँ; कुछ तो हूँ

होकर भी कुछ नहीं

आधी इधर आधी उधर न जाने किधर हूँ

पर पूरी कहीं नहीं होती

हर जगह बिखरी  बिखरी होती हूँ

हाथों पर खींची अमिट लकीर हूँ

पृथा सी सहनशील अति धीर हूँ ।

 

उठ जाती हूँ सुबह सबेरे

उनींदी सी आधी नींद में आधी जागी सी

चढ़ा पानी चाय का दौड़ पड़ती हूँ दरवाजे पर

लेने दूध पाव रोटी सोचने लगती हूँ अभी से

क्या पकाऊँ, क्या खिलाऊँ

ऊँघती भी हूँ तो जगती सी सोती सी

घर में बहती शीतल समीर हूँ

पृथा सी सहनशील अति धीर हूँ ।

 

पता नहीं कहाँ खोई रहती हूँ

करते करते पूजा मुड़ मुड़ सी जाती हूँ

सुन खडखडाहट पति के पदचाप,

आरती के दीपक सी जलती

किचन की सब्जियों में उबलती

छौंकन की जगह स्वयं को छौंकती

और साथ ही छौंकती हूँ अपना वजूद

मुस्करती हूँ फिर भी लगती गम्भीर हूँ

पृथा सी सहनशील अति धीर हूँ ।

 

मैं सपने भी देखती हूँ, पर पुरे कभी नहीं

अधूरे से वे भी उधार के

पति महान के

बच्चों के उत्थान के

खोज कर अपना बचपन

बच्चों में पिरोती हूँ सपने उजालों के

रह कर खुद अंधेरों में दीया जलाती हूँ

क्योंकि पति की , बच्चों की तकदीर हूँ

पृथा सी सहनशील अति धीर हूँ ।

 

उफनते दूध सी

अन्दर ही अन्दर उफनती

चढ़ा अपने अस्तित्व को चूल्हे पर

बीच में छोड़

नए दिन को सजाने

आटे सनी अँगुलियों को डुबो 

नयी नयी कविताओं के रंगों में

रंगती हूँ कल्पनाओं को

धुओं के बादलों से परे

क्योंकि मैं किस्मत से बहुत अमीर हूँ

पृथा सी सहनशील अति धीर हूँ ।

 

न तो मर्जी से जी पाती हूँ

न मर्जी से मर पाती हूँ 

कोई भी काम सलीके से नहीं कर पाती हूँ

बस सारी रात

खिड़कियाँ खोलती हूँ 

बंद करती हूँ

हवा के झोंको सी

रुके पानी सी

सुबह की आस में

दामन के मोती पिरोती हुई प्राचीर हूँ 

पृथा सी सहनशील अति धीर हूँ ।

 

और जब घुटे बादल

आसमान पर फट पड़ते हैं

तो मैं भी फट पड़ती हूँ

रोक हवाओं का रुख

छोड़ पापड़, आचार, कपडे की दुनिया

फिजाओं में खिलखिलाती

तूफानों से बचाने टूटते घर को

रोक लेती हूँ झंझावत में फंसी नैया को

न घर, न आँचल, न परिवार

कुछ भी तो नहीं देती डूबने

लक्ष्मी बाई बन हुंकारने लगती हूँ

माँ दुर्गा सी सिंह सवार हो

अरि दमन को तत्पर शमशीर हूँ

पृथा सी सहनशील अति धीर हूँ । ।

****


सुरेश चौधरी

एकता हिबिसकस

56 क्रिस्टोफर रोड

कोलकाता 700046

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