आधार छंद- मदिरा सवैया
लक्ष्मी नितिन डबराल
श्यामल गात सिया मनभावन श्री रघुनंदन चंदन हैं ।
नेत्र विशाल धनुर्धर कुंचित केश सदैव निरंजन हैं ।।
राम सिया अरु लक्ष्मण श्री प्रभु पावन मारुति नंदन है ।
आप सभी चरणों पर शीश झुका नित चंदन वंदन है ।।
अंजनु लोचन पीत सुशोभित वस्त्र सदा हिय भंजन है।
कोमल अंग पराक्रम भूरि सदा सिय राघव रंजन है ।।
मोहक रूप मनोहर कांति सिया प्रिय ये छवि खंजन है ।
आप सुजान सुनो विनती यह दास सदा भय गंजन है ।।
लक्ष्मी नितिन डबराल
मुजफ्फरनगर
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