शुक्रवार, 10 जनवरी 2025

कविता

 


हिन्दी हिन्दुस्तान की

लक्ष्मी नितिन डबराल

 

सदा रही है, सदा रहेगी, हिन्दी हिन्दुस्तान की ।

सदियों से है और रहेगी, शान ये हिन्दुस्तान की ।।

 

कितने आक्रांता आए यहाँ, आए और आकर चले गए ।

मिटाना चाहा निज भाषाओं को पर, हिन्दी को ना मिटा पाए ।।

जड़ें हैं गहरी इतनी इसकी, ये राष्ट्रभाषा भारत महान की ।

राष्ट्र पथ पर अग्रसर सदा, ये हिन्दी हिन्दुस्तान की ।।

 

पढ़ो समझो निज भाषा को, भाषा नहीं यह अभियान है ।

इसकी रक्षा करना तो हर भारतवासी का काम है ।।

पढ़ो पढ़ाओ निज भाषा को, यह भाषा है ज्ञान-विज्ञान की ।

नहीं मिटी है नहीं मिटेगी, ये हिन्दी हिन्दुस्तान की ।।

 

जब तक गाँवों-गाँवों में हिन्दी भाषा को सम्मान मिलेगा ।

ऐसे ही यह फले फूलेगी हिन्दी भाषी को अभिमान मिलेगा ।।

इसके जैसी दूजी नहीं कोई, यह भाषा है सम्मान की ।

सदियों से है और रहेगी शान यह हिंदुस्तान की ।।

सदा रही है, सदा रहेगी, हिन्दी हिन्दुस्तान की....

***



लक्ष्मी नितिन डबराल

10 पटेल नगर, नई मण्डी

मुजफ्फरनगर 251001

उत्तर प्रदेश


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