शुक्रवार, 10 जनवरी 2025

कविता

 


हिन्दी हमारी पहचान

डॉ. राजकुमार शांडिल्य

मातृभाषा है हिन्दी, माँ सी मीठी, कोमल, प्यारी।

भावों का सागर और चंचल लहरें भारी।।

जन-जन की धड़कन, सबसे वही न्यारी

भाषाओं की फुलवाड़ी में, शोभित हिन्दी प्यारी।।

हिन्दी के सम्मान से ही है, भारत देश महान्

यह हमारा अभिमान, यही है पहचान।।

हिन्दी की बिन्दी है भारत माता का शृंगार।

इसकी समृद्धि से ही होंगे स्वप्न साकार ।।

तुलसी, सूर, कबीर सभी हैं सन्त महान्।

किया हिन्दी का सुन्दर गुण-गौरव-गान ।।

भारतेन्दु, महादेवी, पंत, निराला हैं विद्वान्

साहित्य समृद्ध किया, बढ़ी हिन्दी की शान ।।

लिपि वैज्ञानिक इसकी श्रेष्ठता का प्रमाण

सरल, मधुर, वैज्ञानिक भाषा का सम्मान ।।

वेदों, उपनिषदों, पुराणों का दिया ज्ञान

तभी कहलाता है, मेरा भारत देश महान् ।।

उपसर्ग, प्रत्यय, अव्यय, पर्यायों की खान

संस्कृत की आत्मजा का आजादी में योगदान।।

पत्र पत्रिकाओं से चला जन अभियान

बढ़ी एकता, आजादी दीवानों में आई जान ।।

नाटक, सिनेमा, विज्ञान सर्वत्र है सम्मान

भारतीय पढ़ें, समझें, तभी होगा कल्याण ।।

इसमें धर्म, दर्शन, संस्कृति व विज्ञान

सभी निहित हैं, तभी हमारी पहचान ।।

शिक्षा का माध्यम हो हिन्दी, तभी बढ़े शान

हिन्दी प्रेम से पढ़ें सभी विदेशी मेहमान ।।

आंग्ल मोह छोड़ बनाएँ निज पहचान

विश्व में सम्मानित हों राष्ट्रभाषा के विद्वान् ।।

हिन्दी व्यथा-कथा से परिचित हो जहान

हिन्दी सेवी जनों का बना रहे स्वाभिमान ।।

***


डॉ राजकुमार शांडिल्य

हिन्दी प्रवक्ता

एस. सी. ई. आर. टी. चंडीगढ़

#1017 सेक्टर 20-बी चण्डीगढ़

160020


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