शुक्रवार, 10 जनवरी 2025

आलेख

 


हिंदी: हमारी आत्मा का आईना, संवाद का सेतु और भारत की धड़कन

अश्विन शर्मा

“मैंने उसकी हिंदी कर दी।

उसको अच्छे से हिंदी में समझा दिया।

ये हिंदी है, बिल्कुल हिंदी।

तूने हिंदी में समझाया, तो जैसे दिल से दिल जुड़ गया।

भाई, आज हिंदी में गपशप करते हैं।

हिंदी में बात करना केवल बोलना नहीं, यह तो एक एहसास है।”

शब्दों से आगे, जड़ों से जुड़े

हिंदी केवल एक भाषा नहीं, यह जीवन जीने का तरीका है। यह एक ऐसी धारा है, जो न केवल हमारे शब्दों को, बल्कि हमारे दिलों को भी एक साथ जोड़ती है। हिंदी हमारी पहचान है, यह हमारी संस्कृति, हमारी विविधता और हमारी एकता का प्रतीक है। जब हम हिंदी में बात करते हैं, तो यह सिर्फ शब्दों का आदान-प्रदान नहीं होता, यह तो एक ऐसी अनुभूति होती है, जिसमें हमारे विचार, हमारी भावनाएँ, और हमारे रिश्ते ढलते हैं। यह भाषा नहीं, यह एक तरीका है, एक जीवन जीने का। हिंदी में संवाद करना दिल से जुड़ने जैसा है। हिंदी उस पुल का नाम है जो विचारों और संवेदनाओं को जोड़ता है। 

हमारी संस्कृति और आत्मा की गहरी परछाई

हिंदी एक आईने की तरह है, जिसमें हम अपनी पूरी संस्कृति, अपने अतीत और भविष्य को देख सकते हैं। यह हमें हमारी जड़ों से जोड़ती है और हमें हमारे वर्तमान को समझने का एक नया दृष्टिकोण देती है। हिंदी में बसी है हमारी संस्कृति, हमारी पहचान, और हमारे विचारों की वह गहराई जो शब्दों से भी परे जाती है। यह हमें न केवल शब्दों में, बल्कि आत्मा से भी एकजुट करती है। यह एक ऐसी शक्ति है जो हमारे समाज और संस्कृति के मोल को हर कोने तक पहुँचाती है। हिंदी केवल भाषा नहीं है, यह हमारी आत्मा की गहरी परछाई है।

हिंदी: सीमाओं से परे

हिंदी केवल भारत की सीमा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दुनिया के कोने-कोने में फैली हुई है। जब हम हिंदी की गूंज सुनते हैं, तो वह सिर्फ शब्दों की गूंज नहीं होती, बल्कि यह जीवन के उन रंगों का हिस्सा बन जाती है, जो हर एक संस्कृति, हर एक समाज में मिलते हैं।  

जहाँ-जहाँ हिंदी है, वहाँ-वहाँ जीवन के रंग हैं: 

1. भारत: यह भारत की आत्मा है, जो हर राज्य, हर गली, और हर दिल में बसी है। 

2. नेपाल: हिमालय की ऊँचाइयों से लेकर तराई की खुली वादियों तक, हिंदी की गूंज यहाँ के दिलों में बसी है। 

3. मॉरीशस और फिजी: ये द्वीप जहाँ भारतीय मूल के लोग हिंदी को अपनी सांस्कृतिक धरोहर मानते हैं। 

4. गयाना और त्रिनिदाद: यहाँ हिंदी भाषा को श्रद्धा और सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है, और यहाँ यह उत्सवों की रौनक बढ़ाती है। 

5. संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया: जहाँ प्रवासी भारतीय अपनी जड़ों को याद करते हुए, हिंदी में संवाद करते हैं। 

हिंदी की यह यात्रा केवल भौगोलिक सीमाओं तक सीमित नहीं है, यह समय की सीमाओं से भी परे जाती है। 

भारत का सांस्कृतिक और भौगोलिक विस्तार: हिंदी की छाया

भारत का सांस्कृतिक और भौगोलिक विस्तार केवल कश्मीर से कन्याकुमारी तक सीमित नहीं है। हिंदी की छाया पूरे देश में फैली हुई है, जो हर कोने को जोड़ती है। उत्तर में बर्फ से ढँके इंदिरा कोल पास, लद्दाख से लेकर दक्षिण में इंदिरा पॉइंट, ग्रेट निकोबार तक; पूर्व में सूरज की पहली किरण का स्वागत करने वाले किबिथू, अरुणाचल प्रदेश से लेकर पश्चिम में रेत के स्वर्णिम विस्तार घूरा मोटा, गुजरात तक; उत्तर-पूर्व के विजयनगर, अरुणाचल प्रदेश से दक्षिण-पश्चिम के लहरों से घिरे मिनिकॉय द्वीप, लक्षद्वीप तक; और उत्तर-पश्चिम में सियालकोट सीमा के पास, गुजरात तक – हिंदी इन सभी को जोड़ने वाली एक अनमोल सांस्कृतिक कड़ी है। 

यह भाषा केवल शब्दों का समूह नहीं, बल्कि यह एकता का प्रतीक है। भारत के विविध हिस्सों में हर 20-30 किलोमीटर पर बोली की ध्वनि बदल जाती है, लेकिन हिंदी एक साझा धागा है जो हर स्थान को एक साथ जोड़ता है। यह वह डोरी है जो विभिन्न भाषाओं, संस्कृतियों, और बोलियों को एक सूत्र में पिरोती है। 

हिंदी: सरलता की गहराई

हिंदी में शब्द बहुत सरल होते हैं, लेकिन उनके अर्थ बहुत गहरे होते हैं। यह एक ऐसी भाषा है, जो जटिल विचारों को भी सादगी से प्रस्तुत कर देती है। जब हम हिंदी में बात करते हैं, तो यह संवाद का एक साधारण और दिल से जुड़ा हुआ तरीका बन जाता है। हिंदी वह भाषा है, जो रिश्तों को सुदृढ़ बनाती है और विचारों को स्पष्ट करती है। यह एक ऐसी कड़ी है जो समाज के विभिन्न हिस्सों को जोड़ती है, और यह सभी वर्गों, उम्रों और परिवेशों के लिए सहज होती है। 

सरलता में छिपी गहराई और समझ की ताकत को हिंदी बखूबी व्यक्त करती है। 

हिंदी: गर्व और गौरव का प्रतीक

हिंदी केवल एक भाषा नहीं है, यह हमारी संस्कृति, हमारे विचारों और हमारी पहचान का प्रतीक है। यह हमारे भीतर का गर्व है, जो हमें हमारे अतीत से जोड़ते हुए हमारे भविष्य के मार्ग को स्पष्ट करता है। हिंदी ही वह कड़ी है, जो भारत के विभिन्न हिस्सों को जोड़कर एक मजबूत और अद्वितीय समाज का निर्माण करती है। यह हमारी धरोहर है, और इसका सम्मान करना हमारी जिम्मेदारी है। 

 एक संदेश: हिंदी के लिए गर्व और समर्पण

आइए, हम हिंदी को केवल शब्दों तक सीमित न रखें। इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएँ, इसे अपनी पहचान का हिस्सा मानें। हिंदी से ही हमारी संस्कृति है, हिंदी से ही हमारे रिश्ते मजबूत होते हैं। हिंदी हमारी आवाज़ है, हमारी भावना है, और हमारी एकता का प्रतीक है। 

हिंदी में बसता है गर्व, समर्पण और हमारी पहचान।

हिंदी है, तो हम हैं।

हिंदी से ही सब मुमकिन है।

हिंदी: संवाद का सेतु, अपनत्व का प्रतीक और भारत की आत्मा।

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अश्विन शर्मा

बेंगलुरू


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