सुरेश चौधरी
आनंद अनंत
विद्यमान है रवि
ईशान है
नम
सूर्यप्रभा में नव दुकूल धारता उद्यान है
आतप भानु का
अनजान है शीत का भान है
अहर्ता उत्थान
है सांध्य प्रभास प्रतिमान है
ऋतु शीत है, धरा तुहिन
पोषित है, संगीत है
मकरंद सरोरुह
अर्जित है,
भ्रमर गुंजित है
कलत्व-मुदित
राग गुंजित है मदन ग्रषित है
मंजरी झूम झूम पल्लवित है, तन स्पंदित है
अनधीत्य निकट कंत है, गलबहियाँ अनंत है
अरुणोदित
क्षितिज दिगंत है,
आया हेमंत है
रूपसी लिए रूप
चहुँदिक पिय प्रतीक्ष्यन्त है
पिय सी मधुर
शीत सूर्यकांति धरा पर्यंत है
***
(ईशान: भगवान, अहर्ता: मीठी
धूप, प्रभास: द्युति, सरोरुह: कमल, कलत्व- संगीत, अनधीत्य:
बारम्बार, प्रतिक्ष्यन्त
: प्रतीक्षा का अंत)
सुरेश चौधरी
एकता हिबिसकस
56 क्रिस्टोफर
रोड
कोलकाता 700046
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