शनिवार, 31 अगस्त 2024

हाइकु

 


हाइकु  

प्रीति अग्रवाल

1.

पूनो की रात

तुम जो नहीं पास

लगती स्याह।

2.

समझूँ कैसे

संग बूझ सहेली

जग पहेली।

3.

पेड़ की छाया

दुर्लभ निधि अब

झुलसी काया।

4.

ऊँची हवेली

दीवार ही दीवार

सुकून कहाँ?

5.

तपती रही

निखरी कुंदन-सी

मिसाल बनी!

6.

पँछी जो गाएँ

भँवरे गुनगुन

ताल मिलाएँ।

7.

प्रेम की बूटी

भर रही है घाव

नये पुराने।

8.

मन की टीस

जुबाँ तक न आई

यूँ दफनाई!

-0-

 


प्रीति अग्रवाल

कैनेडा

7 टिप्‍पणियां:

  1. पत्रिका में स्थान देने के लिए आदरणीया पूर्वा जी का हार्दिक धन्यवाद।
    पचासवें अंक की समस्त टीम को अनेको शुभकामनाएँ एवं बधाई!

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  2. बहुत ख़ूबसूरत भावपूर्ण हाइकु हैं प्रीति। हार्दिक बधाई। पूर्वा जी को भी इस पचासवें अंक की बधाई और शुभकामनाएँ।

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  3. समस्त हाइकु बहुत सुंदर।प्रीति जी के हाइकुओं में भावनाओं की गहन अनुभूति विद्यमान रहती है।हार्दिक बधाई।

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    1. हार्दिक धन्यवाद आदरणीय भैया! आपकी टिप्पणी सदा मेरा मनोबल बढ़ाती है!

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  4. इतने सुन्दर हाइकु के लिये बहुत बहुत बधाई ौर शुभकामनायें। विजय विक्रान्त

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  5. बहुत सुंदर हाइकु । हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ प्रीति जी। सुदर्शन रत्नाकर

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सितंबर 2024, अंक 51

शब्द-सृष्टि सितंबर 202 4, अंक 51 संपादकीय – डॉ. पूर्वा शर्मा भाषा  शब्द संज्ञान – ‘अति आवश्यक’ तथा ‘अत्यावश्यक’ – डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्र ...