शनिवार, 31 अगस्त 2024

हाइबन

 


यात्रा

सत्या शर्मा कीर्ति

अपने पसंदीदा सीरियल का नायक मुझे बिल्कुल अपना लगता था। इतना अपना जैसे जन्मों का साथ हो , सुख -दुख की यारी हो। उसकी खुशी ,उसके दुःख मुझे गहरे तक महसूस होते।

आज सीरियल में देखा, उस किरदार में  कोई और नायक आ गया है । कहानी की माँग पर एक्सीडेंट के बहाने डायरेक्टर ने चेहरा बदल दिया था। मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा और मैं टीवी बंद कर सोने चली गई। लेकिन थोड़ी देर बाद ही मुझे याद आया कि आज के एपिसोड में कई सस्पेंस क्लियर होने हैं। और मैं तुरन्त बिस्तर से उठ देखने लगी। थोड़ी देर बाद ही नया नायक  इतना अपना लगने लगा कि पुराने की याद भी नहीं रही।

 फिर मुझे समझ में आया कि मैं किसी नायक से नहीं बल्कि सीरियल की कहानी के पात्र से प्रभावित थी ।

            तभी लगा सामने लगी तस्वीर में ईश्वर भी  हँस कर यही समझा रहे हैं  “मेरी सृष्टि भी तो एक सीरियल ही है जहाँ कहानी चलती रहती है बस पात्र बदल जाते हैं।

हम नाचते    

बन कठपुतली

अज्ञात डोर ।।

 


सत्या शर्मा कीर्ति

राँची

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सितंबर 2024, अंक 51

शब्द-सृष्टि सितंबर 202 4, अंक 51 संपादकीय – डॉ. पूर्वा शर्मा भाषा  शब्द संज्ञान – ‘अति आवश्यक’ तथा ‘अत्यावश्यक’ – डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्र ...