यात्रा
सत्या शर्मा ‘कीर्ति’
अपने पसंदीदा सीरियल का नायक मुझे बिल्कुल अपना लगता था। इतना
अपना जैसे जन्मों का साथ हो , सुख -दुख की यारी हो। उसकी खुशी ,उसके दुःख मुझे गहरे तक महसूस होते।
आज सीरियल में देखा, उस किरदार में कोई
और नायक आ गया है । कहानी की माँग पर एक्सीडेंट के बहाने डायरेक्टर ने चेहरा बदल
दिया था। मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा और मैं टीवी बंद कर सोने चली गई। लेकिन थोड़ी
देर बाद ही मुझे याद आया कि आज के एपिसोड में कई सस्पेंस क्लियर होने हैं। और मैं
तुरन्त बिस्तर से उठ देखने लगी। थोड़ी देर बाद ही नया नायक इतना अपना लगने लगा कि पुराने की याद भी नहीं
रही।
फिर मुझे समझ में
आया कि मैं किसी नायक से नहीं बल्कि सीरियल की कहानी के पात्र से प्रभावित थी ।
तभी लगा सामने लगी तस्वीर
में ईश्वर भी हँस कर यही समझा रहे
हैं “मेरी सृष्टि भी तो एक सीरियल ही है
जहाँ कहानी चलती रहती है बस पात्र बदल जाते हैं।”
हम नाचते
बन कठपुतली
अज्ञात डोर ।।
सत्या शर्मा ‘कीर्ति’
राँची
बहुत सुंदर। सुदर्शन रत्नाकर
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !
जवाब देंहटाएंज्योत्स्ना शर्मा