शनिवार, 29 जून 2024

व्याकरण विमर्श

 

परसर्गों का प्रयोग

डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्र

(1) ‘नेपरसर्ग का प्रयोग

नेपरसर्ग के प्रयोग के कुछ सामान्य नियम इस प्रकार हैं -

1. ‘नेपरसर्ग का प्रयोग कर्ता के साथ होता है।

2. ‘नेपरसर्ग का प्रयोग सकर्मक क्रिया के कर्ता के साथ होता है।

3. ‘नेपरसर्ग का प्रयोग सकर्मक क्रिया के पूर्णपक्ष (जिसे सामान्य व्यवहार में क्रिया का भूतकालिक रूप कहते हैं) के कर्ता के साथ होता है। जैसे -

लड़के ने अपने पिता को पत्र लिखा।

4. ‘नेपरसर्ग का प्रयोग होने पर क्रिया कर्ता के नियंत्रण से मुक्त हो जाती है। अर्थात् कर्ता के लिंग-वचन के अनुसार नहीं होती। कर्म के लिंग-वचन के अनुसार होती है। जैसे -

मोहन ने पत्र लिखा।

मोहन ने चार पत्र लिखे।

मोहन ने चिट्ठी लिखी।

मोहन ने चार चिट्ठियाँ लिखीं।

4. जब कर्ता के साथनेपरसर्ग लगा हो; तथा कर्म के साथकोपरसर्ग लगा हो, तो कर्ता या कर्म के अनुसार क्रिया के लिंग-वचन में कोई परिवर्तन नहीं होता; वह हमेशा पुल्लिंग एकवचन में ही रहता है। जैसे -

लड़के (/लड़कों) ने पत्र (/पत्रों) को पढ़ा। लड़की (/लड़कियों) ने पत्र (/पत्रों) को पढ़ा।

5. कुछ अकर्मक क्रियाओं के साथ भीनेपरसर्ग का प्रयोग होता है -

बच्चे ने खाँसा।

मैंने छींका।

6. जिस वाक्य के कर्ता के साथनेपरसर्ग का प्रयोग होता है, उसमें मुख्य तथा सहायक दोनों क्रियाएँ सकर्मक हों -

मैंने तुम्हारा काम कर दिया है।

7. संयुक्त क्रिया में मुख्य क्रिया सकर्मक हो तथा सहायक क्रिया अकर्मक हो तो उसके कर्ता के साथनेपरसर्ग का प्रयोग नहीं होता -

मैं पूरी किताब पढ़ गया।

वह सारा खाना खा गया।

8. संयुक्त क्रिया में मुख्य क्रिया अकर्मक हो तथा सहायक क्रिया सकर्मक हो तो उसके कर्ता के साथनेपरसर्ग का प्रयोग होता है -

मैंने नहा लिया।

उसने सो लिया।

 (2) को परसर्ग का प्रयोग

1. सामान्यतः सजीव कर्म के साथकोपरसर्ग का प्रयोग जरूरी होता है। जैसे -

लड़के को बुलाओ।

मैं उस आदमी को जानता हूँ।

सीता ने गीता को देखा।

उसने नेता को माला पहनाई।

2. सामान्यतः निर्जीव कर्म के साथकोपरसर्ग का प्रयोग नहीं होता। परंतु किसी कारणवश कर्म पर जोर देना होता है, तब निर्जीव कर्म के साथ भीकोपरसर्ग का प्रयोग होता है -

मैंने उस पुस्तक को पढ़ा है। (मैंने वह पुस्तक पढ़ी है।)

सुरेश ने गेंद को जोर से फेंका। (सुरेश ने गेंद जोर से फेंकी)

बच्चे ने किताब को फाड़ दिया। (बच्चे ने किताब फाड़ दी।)

3. किसी कार्य का समय सूचित करने के लिए समयवाचक संज्ञाओं के साथकोपरसर्ग का प्रयोग किया जाता है। जैसे -

शाम को आना।

शनिवार को परीक्षा ली जाएगी।

गाड़ी दस बजे रात को आई।

वह कल दोपहर को आएगा।

4. आवश्यकता, बाध्यता, सुझाव या कर्तव्य का भाव सूचित करने के लिए कर्ता के साथकोपरसर्ग का प्रयोग होता है। जैसे -

मोहन को किताब चाहिए।

तुमको वहाँ जाना पड़ेगा।

आपको यह काम करना चाहिए।

5. कौशल या योग्यता का भाव सूचित करने के लिए कर्ता के साथकोपरसर्ग का प्रयोग होता है -

मोहन को तैरना आता है।

श्याम को गणित आता है।

6. भूख, प्यास, प्रेम, घृणा, क्रोध, गर्मी, सर्दी, बुखार, सुख, दुख आदि का भाव व्यक्त करने के लिए कर्ता के साथकोपरसर्ग का प्रयोग होता है -

बच्चे को भूख लगी है।

कुत्ते को प्यास लगी है।

नौकर को बुखार है।

राधा को मोहन से प्रेम है।

पिता जी को क्रोध आया।

7. निष्क्रिय कर्ता के साथकोपरसर्ग का प्रयोग होता है -

मुझको बहुत संतोष हुआ।

लड़के को अपनी किताब मिल गई।

सुरेश को चोट आई।

8. कभी-कभीके लिएके स्थान परकोपरसर्ग का प्रयोग होता है; जैसे-

उसने माँ को संदेश भेजा। रामू ने शामू को पत्र पढ़ने को कहा।

9. को परसर्ग का प्रयोग अव्ययों के साथ भी होता है -

कल को तुम पूछोगे, तो मैं क्या बताऊँगा!

यह सड़क ऊपर को जाती है।

यह रेखा ऊपर को नीचे से जोड़ने वाली है।

(3) ‘सेपरसर्ग का प्रयोग

1. क्रिया के साधनवाचक शब्द के साथसेेपरसर्ग का प्रयोग होता है -

वह चाकू से आम काटता है।

मैं पेंसिल से चित्र बनाता हूँ।

वह हर रोज रेलगाड़ी से घर जाता है।

2. रीतिवाचक क्रियाविशेषण बनाने के लिए संज्ञा या सर्वनाम के साथसेपरसर्ग का प्रयोग होता है -

मेरी बात ध्यान से सुनो।

धीरे से दरवाजा खोलो।

मरीज कठिनाई से बोल पाता है।

संकट के समय धैर्य से काम लेना चाहिए।

3. तुलना करने के लिएसेपरसर्ग का प्रयोग होता है -

रवि कुणाल से छोटा है।

नितिन कक्षा का सबसे होशियार छात्र है।

4. किसी कार्य का कारण बताने के लिए कारणवाची शब्द के साथसेपरसर्ग का प्ररोग होता है। जैसे -

धूप से पौधे सूख गए।

उसके पिता की मृत्यु हैजे से हुई थी।

5. किसी व्यक्ति या वस्तु से किसी दूसरे व्यक्ति या वस्तु के अलग या दूर होने के अर्थ मेंसेपरसर्ग का प्रयोग होता है -

पेड़ से पत्ता गिरता है।

वह मेले में अपनी माँ से बिछड़ गया।

दीनू काका आज शहर से गाँव आएँगे।

6. कोई कार्य आरंभ होने का समय बताने के लिए समयवाचक शब्द के साथसेपरसर्ग का प्रयोग होता है। जैसे -

उसका विद्यालय दस बजे से शुरू होता है।

हम आज से अपना काम आरंभ करेंगे।

वह कई दिनों से बीमार पड़ा है।

कल से गरमी बढ़ गई है।

7. कई अव्ययों के साथ भीसेपरसर्ग का प्रयोग होता है -

जहाँ से आए हो, वहीं चले जाओ।

वह कहाँ से आया है?

कहीं से भी लाओ, मुझे अपना पैसा चाहिए।

इधर से मत जाओ। रास्ता बंद है।

उधर से कोई आ रहा है।

इतना पैसा किधर से लाऊँ।

(बायें से, दायें से, ऊपर से, नीचे से, दूर से, पास से, आगे से, पीछे से, अंदर से, बाहर से, भीतर से, अब से, कब से, जब से, तब से ....)

8. प्रेरित कर्ता के साथसेपरसर्ग का प्रयोग होता है -

अध्यापक ने छात्रों से पाठ पढ़वाया।

राम ने श्याम से गीत गवाया।

माँ ने आया से बच्चे को दूध पिलवाया।

9. पूछना, मिलना, कहना जैसी सकर्मक क्रियाओं के कर्म के साथसेपरसर्ग का प्रयोग होता है -

मैंने उससे कहा।

राम श्याम से मिला।

अध्यापक ने छात्र से पूछा।

10. कर्मवाच्य तथा भाववाच्य में कर्ता के साथसेपरसर्ग का प्रयोग होता है -

मेरे दाँत में दर्द है। मैं रोटी नहीं खा सकता।

मुझसे रोटी नहीं खाई जाती।

कुत्ते के पाँव में चोट लगी है। वह चल नहीं सकता।

कुत्ते से चला नहीं जाता।

11. रूपांतरण का भाव व्यक्त करने के लिएसेपरसर्ग का प्रयोग होता है -

चावल से भात बनता है।

सोने से अँगूठी बनती है।

(4) ‘का’ (के/की) परसर्ग

1. ‘काएक विकारी परसर्ग है। अर्थात् उसमें लिंग-वचन के अनुसार रूपांतरण होता है -

राम का बेटा/सीता का बेटा

राम के बेटे/सीता के बेटे

राम की बेटी/सीता की बेटी

राम की बेटियाँ/सीता की बेटियाँ

2. ‘कासंबंधसूचक परसर्ग है। अर्थात् वह दो शब्दों के बीच संबंध सूचित करता है -

() संज्ञा+संज्ञा -

जैसे -

पेड़ का पत्ता

किताब का पन्ना

शहर का होटल

गाँव का स्कूल

() सर्वनाम+संज्ञा -

इसका भाई, उसका भाई, किसका मकान, उसकी किताबें।

() अव्यय+संज्ञा -

कब की बात/तब की बात/यहाँ का नेता/वहाँ की चाय/जहाँ के लोग/उधर का खाना/इधर का पानी ...

() अव्यय+अव्यय -

कहाँ का कहाँ/जहाँ का तहाँ/तब का तब/अंदर का अंदर/बाहर का बाहर ...

(कुछ व्याकरण लेखक मैं, तू, तुम तथा हम सर्वनामों के संबंधवाचक मेरा/तेरा/तुम्हारा/हमारा में आएराकोकाका ही रूप मानते हैं। परंतु ऐसा मानना गलत है। कारण कि मेरा/तेरा/तुम्हारा/हमारा पूरे शब्द हैं। उनमें आएरा/रे/रीशब्द के अनिवार्य अंग हैं। वे मूल शब्द से अलग नहीं हैं।)

प्रथम पुरुष तथा मध्यम पुरुष सर्वनामों के साथकापरसर्गरा/रे/री’ (जैसे- मेरा/मेरे/मेरी) के रूप में परिवर्तित हो जाता है। अन्य परसर्गों की तुलना में इसमें एक विशेष बात यह है कि इसमें लिंग तथा वचन के अनुसार परिवर्तन (रूपांतरण) होता है।कापरसर्ग के द्वारा जिन दो शब्दों के बीच संबंध बताया जाता है, उनमें पहला शब्द पुल्लिंग या स्त्रीलिंग जो भी हो, परंतु दूसरा शब्द यदि पुल्लिंग एकवचन में हो, तोकाका प्रयोग होता है; जैसे - पेड़ का पत्ता, किताब का पन्ना, शहर का होटल, गाँव का स्कूल आदि; दूसरा शब्द यदि पुल्लिंग बहुवचन में हो, तोकाकी जगहकेका प्रयोग होता है; जैसे - पेड़ के पत्ते, किताब के पन्ने, शहर के होटल,गाँव के स्कूल; तथा दूसरा शब्द यदि स्त्रीलिंग (एकवचन या  बहुवचन) में हो, तोकाके स्थान परकीहो जाता है; पेड़ की डाली, गाँव की दुकान, बेसन की मिठाई (सभी एकवचन); पेड़ की डालियाँ, गाँव की दुकानें, बेसन की मिठाइयाँ (सभी बहुवचन)

(5) ‘मेंपरसर्ग का प्रयोग

1. ‘मेंपरसर्ग मुख्यतः अधिकरण कारक का परसर्ग है।

इसके प्रयोग को दर्शाने वाले कुछ सामान्य नियम इस प्रकार हैं -

2. किसी स्थान या समय में किसी व्यक्ति या वस्तु की उपस्थिति बताने के लिएमेंपरसर्ग का प्रयोग किया जाता है। जैसे -

मेरा घर शहर में है।

वह चौथे पीरियड में कक्षा में आ चुका था।

2. समयावधि बताने के लिएमेंपरसर्ग का प्रयोग होता है। जैसे -

वह तीन दिन में पैसे लौटा देगा।

मकान एक साल में तैयार हो जाएगा।

3. कीमत बताने के लिएमेंपरसर्ग का प्रयोग होता है। जैसे -

मैंने तीस रुपये में दो किताबें खरीदीं।

पहले पचीस पैसे में एक कप चाय मिलती थी।

4. दो या अधिक व्यक्तियों या वस्तुओं के बीच तुलना करते समयमेंपरसर्ग का प्रयोग होता है। जैसे -

इन लड़कियों में उषा सबसे तेज दौड़ती है।

आदमी आदमी में अंतर होता है।

5. किसी की मानसिक अवस्था का बोध कराने के लिएमेंपरसर्ग का प्रयोग होता है -

मरीज अभी बेहोशी में है।

मैं कभी-कभी क्रोध में आ जाता हूँ।

मोहन आजकल बेचैनी में है।

(6) ‘परपरसर्ग का प्रयोग

1. किसी वस्तु के एकदम निकट या उसके ऊपर किसी व्यक्ति या वस्तु की उपस्थिति बताने के लिएपरपरसर्ग का प्रयोग होता है। जैसे -

किताब मेज पर पड़ी है।

शांति छत पर खड़ी है।

कोई दरवाजे पर खड़ा है।

पेड़ पर फल लगे हैं।

यहाँ से एक मील पर उसका घर है।

2. किसी कार्य का कोई निश्‍चित समय बताने के लिएपरपरसर्ग का प्रयोग होता है। ऐसे प्रयोगों में घंटा के साथ मिनट का प्रयोग आवश्यक होता है -

ट्रेन दस बजकर पाँच मिनट पर पहुँची।

बारह बजकर तीस मिनट पर बैठक शुरू हो जाएगी।

3. एक ही कार्य की निरंतरता दिखाने के लिएपरपरसर्ग का प्रयोग होता है -

वह थप्पड़ पर थप्पड़ मारे जा रहा था।

उसको धमकी पर धमकी मिलती रही।

4. ‘परका प्रयोग अव्ययों के साथ भी होता है -

यहाँ पर बैठो।

मेरा चश्मा कहाँ पर रखा है?

अपनी किताब जहाँ पर है, वहीं पर देखो।

कहीं पर भी मेरी दवा नहीं मिलती।

5. सारे प्रयोगों को नियम में नहीं बाँधा जा सकता; इसलिए कुछ और उदाहरण यहाँ दिए जा रहे हैं। जैसे -

नेताजी मेरे कहने पर यहाँ आए हैं।

उसे भाग्य पर भरोसा नहीं है।

वह मेरे पैसे पर पलता है।

बच्चों पर क्रोध नहीं करना चाहिए।

चित्र को देखने पर तुम सब कुछ समझ जाओगे।

लड़का मरने मारने पर उतारू हो गया।

उनके आने पर मैं बात करूँगा।

 

डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्र


 

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