‘युगपुरुष अंबेडकर’ ( उपन्यास-राजेन्द्र मोहन भटनागर ) से.......
महात्मा बुद्ध के बाद
यदि किसी युगपुरुष ने
घर्म, समाज, राजनीति और अर्थ के धरातल पर
क्रांति से साक्षात्कार कराने की
सत्य-निष्ठा सद् विवेक और धर्माचरण से
कोशिश की
तो वे थे- डॉ. भीमराव अंबेडकर
सूर्य-सा उनका तेजस्वी चरित्र
चंद्र-सा सम्मोहक व्यवहार
ॠषियों-सा गहन-गंभीर ज्ञान-विज्ञान
संत-सा उत्सर्ग-बल औ; शांत स्वभाव
उनके अपने समय के ऐसे साक्ष्य हैं
जो सदा सर्वदा
उपेक्षित, दलित, शोषित और निर्बल समाज को
सत्प्रेरणा, बल, साहस और प्रकाश देते
रहेंगे
वे मूकनायक थे उनके
जो बेआवाज़ थे, साधनहीन और पंगु,
जो निराश्रित थे, दास और बदनसीब
जो पीढ़ियों से ढो रहे थे दूसरों का मलबा
जो यातना-गृह में जन्मते थे
जो यातना-गृह में जीते थे
जो यातना-गृह में आवारा पशु-से मरते थे ।
वे नीलकंठी महादेव बनकर
सदा गरल पान कर अमृत उड़ेलते रहे !
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