रविवार, 14 अप्रैल 2024

शब्द संज्ञान

 



योगेन्द्रनाथ मिश्र

युग्म शब्द

हिन्दी में दो शब्दों से बने बड़ी संख्या में ऐसे  शब्द हैं, जो देखने में द्वंद्व समास से बने  हुए लगते हैं, परंतु वे द्वंद्व समास से बने शब्द नहीं हैं। 

उसका मुख्य कारण यह है कि द्वंद्व समास से बने शब्दों की तरह उन्हें अलग नहीं किया जा सकता।

ऐसे शब्द युग्म शब्दकहे जाते हैं।

द्वंद्व समास से बने शब्दों का अर्थ समास-विग्रह करने पर स्पष्ट होता है। परंतु युग्म शब्दोंका अर्थ समास-विग्रह करने पर नष्ट हो जाता है।

१. ऐसे शब्द तीन प्रकार के हैं -

ऐसे शब्द जिनके दोनों घटक अर्थवान् शब्द होते हैं या अर्थवान् शब्दों के अंश होते हैं - अस्त-व्यस्त, आधा-अधूरा।

अस्त-व्यस्त के दोनों घटक स्वतंत्र शब्द हैं।दोनों अर्थवान् हैं। ऊपर से देखने पर इसमें द्वंद्व समास लगता है। परंतु इसमें द्वंद्व समास नहीं हैं। कारण कि द्वंद्व समास की तरह इसका विग्रह नहीं किया जा सकता। इनके बीच में कोई समुच्चयबोधक अव्यय नहीं आ सकता। अस्त-व्यस्त का अर्थ समास-विग्रह करके अर्थात् अस्त और व्यस्तया अस्त या व्यस्तकरके नहीं निकाला जा सकता।

कमरे का सारा सामान अस्त-व्यस्त पड़ा है।

यह वाक्य ऐसा नहीं हो सकता -

कमरे का सारा सामान अस्त और व्यस्त पड़ा है।

ऐसे ही आधा-अधूराका आधा और अधूरा नहीं होता। किस्सा-कहानी का अर्थ किस्सा और कहानी नहीं होता।ऐसे शब्दों का जो भी अर्थ होता है, वह समेकित होता है। २. ऐसे शब्द जिनका एक घटक अर्थहीन होता है -

उल्टा-पुल्टा (पुल्टा हिंदी में कोई शब्द नहीं है),

हल्ला-गुल्ला (गुल्ला हिन्दी में कोई शब्द नहीं)।

३. ऐसे शब्द जिनके दोनों घटक अर्थहीन होते हैं - अनाप-सनाप (दोनों अर्थहीन)।

नीचे ऐसे कुछ शब्दों की सूची दी जा रही है -

धोखाधड़ी, आनन-फानन, दवा-दारू, देखभाल, आमने-सामने,  अस्त-व्यस्त,  आधा-अधूरा,  अनाप-सनाप,  आगा-पीछा,  अलग-थलग,  किस्सा-कहानी,  ओर-छोर, ऊल-जुलूल (जलूल),  ऐसी-तैसी,  उल्टा-सुल्टा, धरम-करम,  साधन-सामग्री, कहा-सुनी, आसपास,  अंटसंट,  तन-बदन, आकार-प्रकार, उछल-कूद, अगल-बगल, आनन-फानन, करनी-धरनी,  उथल-पुथल, उठा-पटक,  रोजी-रोजगार, कपड़ा-लत्ता, हाल-चाल, कुशल-क्षेम,  खेल-कूद,  कागज-पत्तर, देर-सबेर, काम-काज, हल्ला-गुल्ला, हट्टा-कट्टा, झगड़ा-टंटा, आपा-धापी,  टोका-टाकी,  गड़बड़-सड़बड़,  खाना-पीना, भाग-दौड़, रोना-धोना,  मिलना-जुलना, मेल-मिलाप, मेल-जोल, घाल-मेल,  शोर-सराबा,  भीड़-भाड़,  गाड़ी-घोड़ा, रात-बिरात। 


 

डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्र

40, साईंपार्क सोसाइटी, वड़ताल रोड

बाकरोल-388315,

आणंद (गुजरात)

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