रविवार, 12 नवंबर 2023

कविता

 



ज्ञानदीप

गोपाल जी त्रिपाठी

 

आओ दीप जलाएँ हम,

मन का तिमिर मिटाएँ हम

आओ दीप जलाएँ हम------

एक दीप हो राष्ट्रप्रेम का

एक मेरे प्रभु राम का ;

एक देशहित बलिदानों का,

एक सैनिक के नाम का ।।

 

एक सनातन संस्कृति के हित,

गौ-गंगा, हर-धाम का ;

सेवा, समरसता का दीपक,

संस्कृति का सत्काम का ।।

 

एक स्वदेशी को प्रेरित हो,

हर हाथों के काम का ;

एक शांति-सद्भाव जगाए,

विश्व-गुरु पदनाम का ।।

 

आओ मिलकर दीपदान कर,

कण-कण ज्योति जलाएँ हम;

कवि गोपाल ज्ञान-गरिमा का,

उजियारा फैलाएँ हम। ।

मिलकर तिमिर मिटाएँ हम।

उजियारा फैलाएँ हम। । उजियारा------


 

गोपाल जी त्रिपाठी

2 टिप्‍पणियां:

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  2. मधुर शब्दों से दे रहे जो संदेश हैं,
    इस संदेश में जो भाव हैं ।🌼
    सब पावन घड़ी की सौंदर्य हैं,
    जीवन की हर पक्ष का 🌼
    निहारता यह जो वेश हैं। ✍️
    ❤️❤️❤️❤️
    इस कृति में जो बात है🌼
    वह बात ही तो बात है
    और क्या कहूं मैं इस बात में
    इस में ही सब बात है।२।
    🙏🙏🙏🙏🙏

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