रविवार, 12 नवंबर 2023

कविता

 


धनतेरस

मालिनी त्रिवेदी पाठक

 

धनतेरस के दिन,

पूजा जाता है धन।

धन कहाँ से आया?

कैसे आया?

इस बारे में

कभी सुना है? क्या कहता है?

किसी कोने में पड़ा आपका मन।

 

धनतेरस के दिन,

किया जाता है लक्ष्मी-पूजन।

घर की लक्ष्मी बहू-बेटियों का,

कितना और कैसे  किया जतन?

इस बारे में

कभी सुना है? क्या कहता है?

किसी कोने में पड़ा आपका मन।

 

धनतेरस के दिन,

देव धनवंतरी का होता पूजन।

सात्विक भोजन, व्यायाम से क्या

रखा आपने सुंदर स्वस्थ तन?

इस बारे में

कभी सुना है? क्या कहता है?

किसी कोने में पड़ा आपका मन।

 

धनतेरस के दिन,

मृत्यु देव यमराज का भी

होता है घर-घर पूजन।

देकर चौखट पर दीप दान,

मृत्यु का करके मंगल गान,

मंगलमय अवसर इसे समझ कर,

शाश्वत सत्य का किया मनन?

इस बारे में

कभी सुना है? क्या कहता है?

किसी कोने में पड़ा आपका मन।

 

धनतेरस के दिन,

होती दीवाली की आहट।

आत्मदीप से ज्योतिर्मय

हो रहा क्या अंतर्घट?

जगमग हो मानवता का दीप,

खिल जाएँ सद्भाव सुमन।

इस बारे में

कभी सुना है? क्या कहता है?

किसी कोने में पड़ा आपका मन।

 



मालिनी त्रिवेदी पाठक

    वडोदरा

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