जगमग दीप जले
इन्द्र कुमार दीक्षित
करुणा त्याग धैर्य की थाती,
मन दीपक में प्रेम की बाती।
सुप्रकाश से भर दे अंतस्,
संध्याकाश तले।।
खद्योतों से भरी दिशा है,
बीहड़पथ घनघोर निशा है।
परिवर्तन हो रहे निरंतर
जैसे चक्र चले ।।
कोई किसी का मान न लूटे,
भ्रष्टाचार की शृंखला टूटे ।
मानवता के सुगम पंथ पर
मिलकर लोग चलें।।
संदेहों की कुहा मिटायें
आओ मित्र गले लग जायें।
ईर्ष्या-द्वेष घृणा के हिम
नव-ऊष्मा से पिघले।।
अंधकार की कारा
तोड़ें
युग की बहती धारा मोड़ें।
नव प्रभात से नई
राह में
नव उमंग मचले ।।
***
इन्द्र कुमार दीक्षित
5/45 मुंसिफ कालोनी
देवरिया रामनाथ उत्तरी
देवरिया - 274001
बहुत सुंदर आदरणीय। हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएं