बुधवार, 26 जुलाई 2023

कजरी

 



मालिनी त्रिवेदी पाठक

अरे रामा सावन घटा घिर आई,

बदरिया कारी रे हारी।

 

मन मोर मयूरा डोले,

अमवा कोइलिया बोले,

ओ रामा ss…

अरे रामा महक रही फुलवारी

झूले रे राधा संग गिरधारी।

बदरिया कारी रे हारी।

 

अंग सोहे लहरिया धानी,

बन मोती चमके पानी,

ओ रामा ss…

 

अरे रामा पैरों में पायल बिजुरिया,

झूले रे राधा संग बनवारी।

बदरिया कारी रे हारी।

ओ रामा ss…

 

ऊँचे-ऊँचे पेंग चढ़ाए,

अम्बर तक चरण बढ़ाए,

ओ रामा ss…

अरे रामा सुनो कहत नरनारी,

आओ रे नीचे राधा बनवारी

बदरिया कारी रे हारी।

 

जमुना जल हो गया काला,

काली नाग से पड़ गया पाला,

ओ रामा ss…

अरे रामा जल में प्रदूषण भारी,

झूलें रे  कैसे राधा गिरधारी

बदरिया कारी रे हारी।

 


  

मालिनी त्रिवेदी पाठक

       वड़ोदरा

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