मालिनी
त्रिवेदी पाठक
अरे रामा सावन
घटा घिर आई,
बदरिया कारी रे
हारी।
मन मोर मयूरा
डोले,
अमवा कोइलिया बोले,
ओ रामा ss…
अरे रामा महक
रही फुलवारी
झूले रे राधा
संग गिरधारी।
बदरिया कारी रे
हारी।
अंग सोहे
लहरिया धानी,
बन मोती चमके
पानी,
ओ रामा ss…
अरे रामा पैरों
में पायल बिजुरिया,
झूले रे राधा
संग बनवारी।
बदरिया कारी रे
हारी।
ओ रामा ss…
ऊँचे-ऊँचे पेंग
चढ़ाए,
अम्बर तक चरण
बढ़ाए,
ओ रामा ss…
अरे रामा सुनो
कहत नरनारी,
आओ रे नीचे
राधा बनवारी
बदरिया कारी रे
हारी।
जमुना जल हो
गया काला,
काली नाग से पड़
गया पाला,
ओ रामा ss…
अरे रामा जल
में प्रदूषण भारी,
झूलें रे कैसे राधा गिरधारी
बदरिया कारी रे
हारी।
मालिनी त्रिवेदी पाठक
वड़ोदरा
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