प्रेमचंद...
कवि योगेन्द्र पांडेय
जिसकी लेखनी रही प्रखर
जिसकी रचना से उठी लहर
शब्द सुमन की सुंदरता से
हो जाते सब पात्र निखर
उस साधक की वंदना मैं
नित सुबह और शाम करूँ,
हे हिंदी के वरद पुत्र!
शत शत तुम्हें प्रणाम करूँ।।१।।
जिसने नया-नया प्रतिमान गढ़ा
जिससे हिंदी का मान बढ़ा
जिसकी कथा कहानी से
साहित्य उन्नति की राह चढ़ा
उस लेखक के स्वागत में
अपनी कविताएँ नाम करूँ,
हे हिंदी के वरद पुत्र!
शत शत तुम्हें प्रणाम करूँ।।२।।
साहित्य शिल्प के ज्ञाता तुम
हिंदी के भाग्यविधाता तुम
अपनी रचानाओं से
सबके
मन के सुख दाता तुम
लमही गाँव की पावन धरती
जाकर तीरथ धाम करूँ,
हे हिंदी के वरद पुत्र!
शत शत तुम्हें प्रणाम करूँ।।३।।
कवि योगेन्द्र पांडेय
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