मंगलवार, 30 मई 2023

ताँका

 


ताँका

त्रिलोक सिंह ठकुरेला

 

1.

जब से प्रीति

मन के गाँव बसी

महके अंग

मन-सितार बजे

नये  सपने सजे ।

2.

पीपल पात

तालियाँ बजा रहे

मुग्ध चिड़िया

सहसा गाने लगी

उदासी जाने लगी ।

 

3.

बरसे मेघ

पुरवाई मचली

धरती सजी

इन्द्रधनुष आया

थिरक उठी काया ।

 

4.

आशा के दीप

खिलखिलाते रहे

दिखाते रहे

खुशियों की डगर

पड़ाव के नगर ।

 

5.

धूप छाँव में

चाहतों के गाँव में

वह चलती

निर्जला उपवास

फैली श्रम-सुवास ।

 

6.

यादों का गाँव

बचपन के मित्र

अनेक रंग

जीवन चलचित्र

पल पल ज्यों इत्र ।

 

7.

प्रेम-पलाश

कल्पना की डालियाँ

पुष्पित आस

अंग अंग निखरा

प्रेम रंग बिखरा ।

 

8.

अम्बर ताल

तारों की मछलियाँ

लुभातीं मन

मनहर आलोक

सुखद मायालोक ।

 

9.

बच्चों का संग

कागज की कश्तियाँ

सुखों का मेला

रस रंग छा रहा

मन को लुभा रहा ।


 


त्रिलोक सिंह ठकुरेला

बंगला संख्या-99

रेलवे  चिकित्सालय के सामने,

आबू रोड-307026

जिला - सिरोही (राजस्थान)


3 टिप्‍पणियां:

  1. ताका के रूप में सुंदर रचनाएं । साधुवाद ।

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  2. वाह,समस्त ताँका बेहतरीन,मनभावन।बधाई ठकरेला जी।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर ताँका। बहुत बहुत बधाई। सुदर्शन रत्नाकर

    जवाब देंहटाएं

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