ताँका
त्रिलोक सिंह ठकुरेला
1.
जब से प्रीति
मन के गाँव बसी
महके अंग
मन-सितार बजे
नये सपने सजे ।
2.
पीपल पात
तालियाँ बजा रहे
मुग्ध चिड़िया
सहसा गाने लगी
उदासी जाने लगी ।
3.
बरसे मेघ
पुरवाई मचली
धरती सजी
इन्द्रधनुष आया
थिरक उठी काया ।
4.
आशा के दीप
खिलखिलाते रहे
दिखाते रहे
खुशियों की डगर
पड़ाव के नगर ।
5.
धूप छाँव में
चाहतों के गाँव में
वह चलती
निर्जला उपवास
फैली श्रम-सुवास ।
6.
यादों का गाँव
बचपन के मित्र
अनेक रंग
जीवन चलचित्र
पल पल ज्यों इत्र ।
7.
प्रेम-पलाश
कल्पना की डालियाँ
पुष्पित आस
अंग अंग निखरा
प्रेम रंग बिखरा ।
8.
अम्बर ताल
तारों की मछलियाँ
लुभातीं मन
मनहर आलोक
सुखद मायालोक ।
9.
बच्चों का संग
कागज की कश्तियाँ
सुखों का मेला
रस रंग छा रहा
मन को लुभा रहा ।
त्रिलोक सिंह ठकुरेला
बंगला संख्या-99
रेलवे चिकित्सालय
के सामने,
आबू रोड-307026
जिला - सिरोही (राजस्थान)
ताका के रूप में सुंदर रचनाएं । साधुवाद ।
जवाब देंहटाएंवाह,समस्त ताँका बेहतरीन,मनभावन।बधाई ठकरेला जी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ताँका। बहुत बहुत बधाई। सुदर्शन रत्नाकर
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