शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2023

क्षणिकाएँ

 



प्रीति अग्रवाल

1.

मेरे हँसने पर हँसते हो

रोने पर रोते,

कहो तो सही

तुम मेरे कौन हो...

मेरे पूछने से पहले,

आईना पूछ बैठा!!

2.

है खुद की प्यास मिटानी तो

दूजे को नीर पिलाओ...

मिटेगी तृष्णा ऐसे ही

एक बार तो आज़माओ!

3.

कहने को यूँ तो

था बहुत, पर

क्या कहूँ...

कैसे कहूँ...

किससे कहूँ...

कहूँ, न कहूँ...

इस सोच में

उलझी रही...

ज़िन्दगी, ज़िन्दगी ठहरी

क्यों रुकती

चलती रही...!

4.

तुम संग बीते लम्हे

काश! समेट पाते...

नर्म, मुलायम इतने,

हाथों से फिसले जाते....!

5.

ये लोग

जो चले जाते हैं,

जाते हैं कहाँ....

पूछते उन्हीं से,

जो लौटते,

वो यहाँ..!

 

6.

पहुँचने की तुम तक

है कैसी लगन...

हर वक्त यूँ लगे

कि सफर में हैं हम!

7.

हम दोनों की मंज़िल,

हम दोनों ही हैं,

सफर खूबसूरत

यूँही नहीं!

8.

था लम्बा सफर

पर मैं न थकी...

थकी भी तो बस,

तुझे, मना मना थकी!

9.

जज़्बातों को मेरे

समझते वो कैसे...

बातें ही मेरी

समझ वो न पाए!

10.

ज़िन्दगी में साल

चाहे जितने भी हो...

हर साल में, बस,

ज़िन्दगी चाहिए !



 

प्रीति अग्रवाल

कैनेडा

2 टिप्‍पणियां:

  1. एक और सुंदर सफल अंक, बधाई पूर्वा जी!
    मेरी रचनाओं को पत्रिका मे स्थान देने के लिए हार्दिक आभार!

    जवाब देंहटाएं
  2. हर साल में बस ज़िंदगी चाहिए । एक से बढ़कर एक क्षणिकाएं । वाह ।

    जवाब देंहटाएं

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