शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2023

स्मृति शेष

 



वाणी जयराम

संध्या दुबे

पार्श्वगायन के क्षेत्र में अलग मुकाम था वाणी जयराम का

दक्षिण भारत से भाषाई और हिन्दी फिल्मों में आये जिन प्रख्यात पार्श्वगायकों ने अपने गायन की एक अलग छाप छोड़ी उनमें तमिलनाडु की सुप्रसिद्ध गायिका वाणी जयराम भी अग्रगण्य रहीं हैं । अपने स्वर माधुर्य और शास्त्रीय रागों पर आधारित गीतों के गायन में प्राविण्य के कारण वाणी जयराम ने फिल्म में पार्श्वगायन के क्षेत्र में अलग मुकाम बनाया था। तीन बार पार्श्वगायन के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और भारत सरकार के प्रतिष्ठित नागरिक  सम्मान से विभूषित वाणी जयराम का गत 04 फरवरी को अवसान हो गया। उनका यूँ चला जाना फिल्म संगीत की दुनिया की एक बड़ी क्षति है और उनके अवसान से स्वर माधुर्य का एक अध्याय ही समाप्त हो गया है ।

पाँच दशक के अपने केरियर में उन्होंने  हिन्दी और भिन्न भाषाओं में लगभग दस हज़ार गीत गाए हैं. जिसमें हिन्दी, तमिल, मलयालम, कन्नड़ और हरियाणवी समेत कई भाषाएँ शामिल हैं। 

बॉलीवुड की हिन्दी फिल्मों के लिए ही उन्होंने करीब डेढ़ हज़ार गीत गाए। उन्होंने  देशभक्ति से ओतप्रोत अनेक गीत भी गाए है और दुनिया भर में कई म्यूजिक कन्सर्ट की भी वे मुख्य प्रतिभागी रहीं है। वाणी जयराम, जिनका वास्तविक नाम कलैवानी था। दक्षिण भारत की भाषाई फिल्मों से पार्श्वगायन का अपना केरियर शुरु करने वाली वाणी जल्दी ही हिन्दी फिल्मों की भी एक लोकप्रिय पार्श्वगायिका बन गई। अपनी सुरीली आवाज के कारण वाणी सत्तर के दशक से नब्बे के दशक के अन्त तक देश के कई संगीतकारों की पसन्दीदा पार्श्वगायिका रहीं , उन्होंने कई भारतीय भाषाओं जैसे कन्नड़, तेलुगु, तमिल, मलयालम, मराठी, हिन्दी, उड़िया, हरियाणवी, असमिया, तुलू, गुजराती और बंगाली भाषाओं में भी पार्श्वगायन किया । पार्श्वगायन के लिए तीन राष्ट्रीय पुरस्कार के साथ ही उन्हें ओडिशा, गुजरात, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु राज्यों की  सरकार द्वारा स्थापित पुरस्कार भी मिले। वर्ष  2012 में उन्हें दक्षिण भारतीय फिल्मों में पार्श्वगायन के क्षेत्र की उनकी विशेष उपलब्धियों के लिए लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड-(साउथ )से सम्मानित किया गया। वर्ष  2017 में उन्हें न्यूयॉर्क शहर में  नाफा टू हण्ड्रेड सेवन्टीन कार्यक्रम में बेस्ट फीमेल वोकलिस्ट का पुरस्कार भी दिया गया ।

वाणी जयराम का जन्म 30 नवंबर, 1945 को तमिलनाडु के वेल्लोर में एक तमिल परिवार में हुआ था। आपके पिता दुरईसामी अयंगर और माता पद्मावती, रंगा रामुनाजा अयंगर से प्रशिक्षित संगीतकार थे। आठ साल की उम्र में, उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो, मद्रास में अपना पहला सार्वजनिक प्रदर्शन दिया था‌। वाणी मद्रास विश्वविद्यालय के क्वीन मैरी कॉलेज की छात्रा थीं।  अपनी पढ़ाई के बाद वाणी ने बैंक की नौकरी ज्वाइन की ।  वाणी की शादी एक ऐसे परिवार में हुई जो पहले से ही संगीतमय था। उनके पति टी एस जयरमण और उनकी सास श्रीमती पद्मा स्वामीनाथन , सामाजिक कार्यकर्ता होने के साथ संगीत के प्रति रुझान ‌‌भी रखते थे। उनके पति टी. एस. जयरमण ने वाणी के गायन को सुनकर उन्हें हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का प्रशिक्षण दिलवाया और पटियाला घराने के उस्ताद अब्दुल रहमान खान से वाणी ने शिक्षा ली। संगीत सीखते समय उन्होंने बैंक की नौकरी छोड़ दी और संगीत के प्रति ही समर्पित हो गईं। उन्होंने  ठुमरी, ग़ज़ल और भजन के स्वर सीखे और वर्ष 1969 में अपना पहला म्यूजिक शो किया । इसी दौरान उनकी मुलाकात संगीतकार वसंत देसाई से हुई, जिन्होंने वाणी की आवाज सुनी और अपने एलबम के लिए गाना गाने का मौका दिया । यह एलबम मराठी लोगों को  काफी पसंद आया।  और इसके बाद उनके पास एक के बाद एक गाने के प्रस्ताव  आने लगे ।

वाणी को सबसे बड़ा ब्रैक भी संगीतकार वसंत देसाई सा'ब ने वर्ष 1971 में ‘ गुड्डी  ‘ फिल्म  में दिया । इस फिल्म के एक गीत - ‘बोल रहे पपीहरा...’ ने उन्हें शीर्षस्थ पार्श्वगायिकाओं की पंक्ति में खड़ा कर दिया। उन्होंने कई दिग्गज संगीतकारों के साथ काम किया जिनमें  एमएस विश्वनाथन, सत्यम, चक्रवर्ती केवी महादेवन और इलैयाराजा प्रमुख थे । आपने गुलज़ार की फिल्म मीरा’ के भी सभी गीत गाये थे जो बेहद लोकप्रिय हुए । आपका एक एलबम ‘परवाज़’ भी काफी लोकप्रिय हुआ । इसमें आपने फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ सहित अनेक शीर्षस्थ शायरों की रचनाओं को स्वर दिया ।  ‘वाणी’ का यह विराम स्तब्ध कर देने वाला है ।



संध्या दुबे

भोपाल 


1 टिप्पणी:

  1. वाणी जयराम ने उस समय अपना मुकाम बनाया जब लता जी,आशा जी और सुमन जी जैसी स्थापित दिग्गज गायिकाओं का बोलबाला था,इन सबसे हट कर अलग आवाज़ थी वाणी जी की । अच्छी जानकारी के साथ बेहतर लेख । वाणी जी को नमन और संध्या राजा जी को बधाई ।

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