हे पिता !
त्रिलोक सिंह ठकुरेला
हे पिता ! आप साकार देव, बरसाते रहे नेह धारा ।
कर सृजन किया पालन पोषण
पग पग पर मेरे दुख टारे,
हे ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव हे,
मेंटे जीवन के अँधियारे,
जिसने निर्देशित किया मार्ग हे पिता ! आप वह ध्रुव तारा ।
बल, बुद्धि, ज्ञान, श्रम, कौशल से
सम्पदा आपने की अर्जित,
अपने सपनों को भूल, भूल
सब न्यौछावर की मेरे हित,
जितना भी वैभव खड़ा किया सब कुछ मेरे ऊपर वारा ।
संभव ही नहीं कि गिन पाऊँ
हे पिता ! अमित उपकारों को,
बस कृपा आपकी रही सदा
सह पाया मैं भव- भारों को,
हे पिता ! आपसे क्या तुलना हो अगर तुला पर जग सारा ।
त्रिलोक सिंह ठकुरेला
आबूरोड (राजस्थान)
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