मनुष्य उदार हो तो फरिश्ता है और नीच हो तो शैतान है। ये दोनों मानवीय
वृत्तियों के ही नाम हैं।
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प्रेमचंद
तैयारी में असफल होना, मतलब आप असफल होने की तैयारी कर रहे हैं।
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बेंजामिन फ्रैंकलिन
जो मनुष्य अपने क्रोध को अपने ही ऊपर
झेल लेता है, वही दूसरों के क्रोध से बच सकता है।
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सुकरात
जीवन तक नहीं होती मुकद्दर की समस्याएँ,
मृत्यु के बाद भी बाकी रहती हैं हस्तरेखाएँ।
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मरीज
यह जानना कि आप अज्ञानी हैं यह ज्ञानी बनने का प्रथम सोपान है।
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डिज़रायेली
सदाचार और निर्मल जीवन ही सच्ची शिक्षा का आधार है।
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महात्मा गाँधी
खुद के बारे में ज्यादा बातें करना भी खुद को छुपाने का एक तरीका हो सकता है।
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नीत्शे
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